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Sunday, 14 October 2012

नही समझ पाता जिंदगी का क्या इशारा है

जब भी रसोई की तरफ मैंने निहारा है
महंगाई ने हाँ जोर का चांटा मारा है

तनख्वा को कभी जरुरतो को देखता हूँ
नही समझ पाता जिंदगी का क्या इशारा है

कई बार सोचा गुस्सा बीवी का है जायज़
हाँ ख्वाबो के जिसके सूली पर उतारा है

दर्द बेकारी का पहले ही कुछ कम ना था
मुझे ऊपर से महोब्बत ने चाबुक मारा है

ये सारी ऐसी तैसी नेताओ की हुई है
खौफ आम आदमी का जिसने निखारा है

शायद मिठास ज्यादा है तेरे अहसास का
मेरे अश्को का स्वाद इसलिए खारा है

बेचैन रिश्तेदारो की फ़िक्र नही करता
महबूब उसका उसके लिए ध्रुव तारा है



Saturday, 13 October 2012

हूँ कसमकश में तमन्नाओं का क्या होगा


हूँ कसमकश में तमन्नाओं का क्या होगा
क्या हक में मेरे कोई ना फैंसला होगा

उन्हें ये शक में दुनिया को सब बता दूंगा
मुझे ये खौफ वो ना संग रहा तो क्या होगा

कही से भेज वो लम्हे सकून हो जिसमे
अ वक्त तेरा कसम से बड़ा भला होगा

वो जिरह करते करते कभी जो बिछड़ गया
ता उम्र भर के लिए बहुत ही बुरा होगा

कपकपी उनके लब्जो की यही कहती है
मजबूरियों के सिवा ना सबब दूसरा होगा

मेरे इश्क ने बेचैन पक्का सोच लिया
हर एक जन्म में मेरा वही खुदा होगा

सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना


कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना

बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना

किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना

कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना

कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना

जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना

मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना

ज़ुल्फ़ की रस्सी बनाकर मुझे फांसी तोड़ दे

ज़ुल्फ़ की रस्सी बनाकर मुझे फांसी तोड़ दे
नही बस में तो चुप रहने की जिद छोड़ दे

या तो इन घटाओ को बोल खुलकर बरसे
या बोल मुझे आँखों से समन्दर निचोड़ दे

यूं हक ना मारिये अपने गरीब आशिक का
मेरी प्यास,नींद-ओ-चैन का हिसाब जोड़ दे

दूर बहुत दूर जाकर ही मुस्कुरा लूँगा मैं
कोई तो राह ख़ुशी की मेरी और मोड़ दे

ऐसा अपाहिज बनाया है इश्क ने बेचैन
कह नही सकता खुद को कही ओर दौड़ दे

तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

तू सच में कही से जो मेरा गमख्वार है
तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

मैं लाश जिंदा बन गया हूँ दो ही रोज में
दिन बाकि उम्र के पड़े अभी कई हजार है

वादा वफा हंसने का हर हाल में होगा
वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है

मत भूलना कभी कही कोई तडफ रहा है
दुनिया में किसी को तुम्हारा इंतजार है

हम किस तरह करीब आये एक दूजे के
हाहा दास्तान अपनी वाकई मजेदार है

मजबूरी-ओ-नसीब दोनों पीछे पड़े है
शायद इसी का नाम बेचैन संसार है

बंदिश लगाके आहों पे कहता है प्यार कर

बंदिश लगाके आहों पे कहता है प्यार कर
मेरे पास बैठ कर ही मेरा इंतजार कर

मुजरिम समझ बैठा हूँ खुद को तुम्हारा मैं
इतना भी जान मुझको ना अब शर्मसार कर

आता नही समझ में अब करू तो क्या करू
कैसे मैं खुद से ही कहूं गूंगा व्यवहार कर

शक की नजर से रोज मेरा ना इंतिहान ले
इंसान गलत नही हूँ मेरा एतबार कर

मजबूरिया तुम्हारी मुझे अच्छे से पता है
मेरी बेबसी पे तू भी तो सोच विचार कर

कब तक करेंगे नसीब से दो दो हाथ हम
सिक्का उछाल कर ही सही जीत हार कर

तू भी बेचैन होता है सुनकर मेरा नाम
मिल जायेगा सकूं मुझे तू इकरार कर


 

Wednesday, 10 October 2012

जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

मौत तो लाजिम है एक रोज सबकी दोस्त
जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

बस इतना ही हश्र होगा तुमसे बिछड़कर
रफ्ता रफ्ता भीतर से पत्थर हो जाऊंगा

गिरती रही मुझमे अगर खौफ की नदियाँ
देख लेना एक रोज समन्दर हो जाऊंगा

किस लिए करू हाय तौबा आरज़ू पालकर
साथ क्या जायेगा गर सिकन्दर हो जाऊंगा

बस इतना याद रखना बाद मेरे बेचैन
मैं झुका हुआ भरोसे का सर हो जाऊंगा

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है
रूप जिंदगी का वही निकलकर आया है

वक्त ने उसी को चित करके छोड़ा है
अक्लमंदी का जिसने रौब जमाया है

भीड़ रिश्ते नातों की कुछ भी तो नही है
जान बूझकर हमने सर पर चढ़ाया है

दोस्तों उम्र पर भी हंसी आने लगती है
दिवानगी का जब दिल ने राग गाया है

जो कुछ भी है वजूद ही तो है बेचैन
फिर जिस्म पर हुश्न किसलिए इतराया है

कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है



कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है
जब पहलू में महका गुलाब लिए बैठा हूँ

कोई सितारों सी चमक रखता है तो रखे
मैं दिल में अपने महताब लिए बैठा हूँ

तू मंजिल की हद जिसे समझता है रकीब
मैं उससे आगे का ख्वाब लिए बैठा हूँ

यूं कम नही होगा मेरा नशा उम्र भर
इश्क की आँखों में शराब लिए बैठा हूँ

इसलिए नही देता तरजीह सवालों को
जवाबो का भी मैं जवाब लिए बैठा हूँ

वजूद के जिंदा रहने का यही सबब है
सच से टकराने की ताब लिए बैठा हूँ

बाकि है अभी मिलनी लानत दुनिया की
यही सोचकर जिंदा कसाब लिए बैठा हूँ

वक्त मुझे धोखा देगा तो कैसे देगा
पाई पाई का बेचैन हिसाब लिए बैठा हूँ

बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो


बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो
तुम तो बच्चो की ही सही हो, मेरी माँ ना बनो

रहना है तो दिमाग में रहो ज़िम्मेदारी बनकर
दिल में उछल कूद करने का सिलसिला ना बनो

जिसने कीमत दी है वही है ख्वाबो का मालिक
किसी की अमानत को पाने का हौसला ना बनो

कभी मत भूल हद मीठे की कडवाहट होती है
ज्यादा चासनी में डूबी हुई तुम जुबा ना बनो

उम्मीदों पर खरे ना उतरे तो पाप लगेगा
कभी इश्क में बेचैन किसी का खुदा ना बनो

कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना


कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना

बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना

किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना

कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना

कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना

जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना

मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना

वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है


तू सच में कही से जो मेरा गमख्वार है
तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

मैं लाश जिंदा बन गया हूँ दो ही रोज में
दिन बाकि उम्र के पड़े अभी कई हजार है

वादा वफा हंसने का हर हाल में होगा
वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है

मत भूलना कभी कही कोई तडफ रहा है
दुनिया में किसी को तुम्हारा इंतजार है

हम किस तरह करीब आये एक दूजे के
हाहा दास्तान अपनी वाकई मजेदार है

मजबूरी-ओ-नसीब दोनों पीछे पड़े है
शायद इसी का नाम बेचैन संसार है

Wednesday, 3 October 2012

हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे

चाहे हलाल कर या जी भरके प्यार दे
हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे

बंद कर दिया है सोचना मैंने आजकल
नही फर्क पड़ेगा कितना ही इंतजार दे

खुद से जियादा तुझपे भरोसा किया है
शर्मिंदा करना है तो झूठा एतबार दे

आती है कमी अगर सजने संवरने में
मेरे लहू का अपने लबों को सिंगार दे

बेचैन इश्क का मजा दुगना आयेगा
महबूब को दाता तडफ और खुमार दे

Tuesday, 2 October 2012

सर रखके सीने पर मुझे सम्भालो

तुम्हारी सांसो की खुशबू मुझको
बड़ा तंग करती है इसे समझा लो

खुमार रहता है तुम्हारा हर लम्हा
हाय, कही मर जाऊ ना रहम खा लो

यूं एकटक मुझको कभी ना देखाकर
मुझे डर लगता है पलकें झपका लो

रफ्तार धडकन की बढती जाती है
सर रखके सीने पर मुझे सम्भालो

हाल बच्चे सा मेरे अहसास का है 
बेचैन रोये तो सीने से लगा लो


खामोश रहकर जियादा बकवास ना करो

मेरी अच्छी भली छुट्टी का नाश ना करो
खामोश रहकर जियादा बकवास ना करो

चुपचाप लौट आओ अच्छे बच्चों की तरह
मुझको गुस्सा दिलाने का प्रयास ना करो

तैश में रहने से रंग काला पड़ जाता है
मुह फुलाने का इतना अभ्यास ना करो

गलतफहमी पत्थर में जान फूंक देती है
चुगलखोरो पर झटके में विश्वास ना करो

उम्र भर मल मुझे दर्दे अहसास पर बेचैन
झंडूबाम ही रहने दो च्वनप्राश ना करो

Sunday, 30 September 2012

आज पीकर शराब बोतल फोड़ देता हूँ

चलो कल तक के लिए पीनी छोड़ देता हूँ
आज पीकर शराब बोतल फोड़ देता हूँ

भर आती है आँखे जब उसकी याद में
 जाम की ओर आंसुओ को मोड़ देता हूँ

जब भी लगाना होता है हिसाब तडफ का 
वक्त और आहों की गुणा जोड़ देता हूँ

हुआ है जब भी वो कभी नाराज मुझसे
मैं झट से मन्दिर की तरफ दौड़ देता हूँ

मांगनी होती है जब गलती की मुआफी
मैं बेचैन खुद के कान मरोड़ देता हूँ



मैं हिस्सा बन गया हूँ तेरी उलझन का कहते क्यूं नही


तुझे सोचकर दर्द बढ़ता है मेरे मन का कहते क्यूं नही
मैं हिस्सा बन गया हूँ तेरी उलझन का कहते क्यूं नही

जिंदगी सच बता वास्ता है तुझको तेरी ही पाकीजगी का
मैं तुझे चोर दिखता हूँ ना तेरे तन का कहते क्यूं नही

जो इल्जाम कल जमाना देगा तू आज ही दे दे तो अच्छा
मैं फायदा उठा रहा हूँ भोलेपन का कहते क्यूं नही

मेरी मुफलिसी-ओ- किरदार तेरे रुतबे आगे छोटे है
यही सबब तो है रोजाना की अनबन का कहते क्यूं नही

वैसे भी तो तुझको मर्द जात से सख्त नफरत है बेचैन
नही है भरोसा है तेरे चाल चलन का कहते क्यूं नही

हाँ समझ गया हूँ तेरी महोब्बत कितनी मीठी छूरी है

मैं झूठा मेरी तडफ झूठी सच्ची तेरी मजबूरी है
हाँ समझ गया हूँ तेरी महोब्बत कितनी मीठी छूरी है

जिस रोज मेरी प्यास तुम्हारे होठों पर पपड़ी ला देगी
तब बताना सिवा प्यार के दुनिया में क्या पाना जरूरी है

बता कोरे ज़ज्बातों के दम पर कब तक दूं खुद को तसल्ली
जी भर कर देखे बगैर मेरी प्रेम कहानी अधूरी है

तुझे कसम है तेरे ही ज़ज्बातों की मुझसे आन मिलो
मुझको लेकर अगर तुम्हारा कोई भी सपना सिन्दूरी है

हम दोनों के बीच फसाद की वही तो असली जड़ है जान
हाँ मेरे मन से तेरे मन की बेचैन जितनी दूरी है

जिंदगी ज़ुल्फ़ नही है जो फिर से संवर जाएगी

एक बार उलझी तो उलझती चली जाएगी
जिंदगी ज़ुल्फ़ नही है जो फिर से संवर जाएगी

सोच समझकर ही लीजिएगा हरेक फैंसला
सदा लिए बात कोई शर्मिंदा कर जाएगी

तुम बेशक कूच कर जाओ मेरी दिल से लेकिन
मैं देखता हूँ तुम्हारी याद किधर जायेगी

जब तलक आएगा तेरे होश को होश जान
तब तक मेरी याद खुशबू बनके बिखर जाएगी

बेचैन प्यार के सिवा कोई भी और जिक्र छेड़
दास्ताने इश्क सुन मेरी आँख भर जायेगी

प्यार जिंदा रहता है मुलाकातों के सहारे

प्यार जिंदा रहता है मुलाकातों के सहारे
बचाकर रखोगे कब तलक बातों के सहारे

मैं इसलिए निकल आया छोड़कर उसको
वो बहला रहा था मुझे ज़ज्बातों के सहारे

बेशक से कल आती आज ही आ जाए मौत
नही लेना साँस उसकी खैरातों के सहारे

जवाब नही है तकदीर में तो नही है दोस्त
गुज़ार लूँगा जिंदगी सवालातों के सहारे

खुदा के वास्ते ना कोई भी नाम दे बेचैन
इश्क रोशन नही रिश्ते- नातों के सहारे

चलो आज का काम तो चल गया शराब पीकर


चलो आज का काम तो चल गया शराब पीकर
कल वो फिर याद आयेंगे तो देखी जाएगी

सो जाऊंगा बिना खाए पिए मुह के बल पड़कर
रात को ख्वाब सतायेंगे तो देखी जाएगी

खो जाऊंगा उसकी यादों के बियाबान में
लोग उँगली उठाएंगे तो देखी जाएगी

उसको जी भर कर देखने की आरज़ू में
हम मिट भी अगर जायेंगे तो देखी जाएगी

मैं तो कभी जफा नही करूंगा बेचैन मगर
पर बेवफा कहलायेंगे तो देखी जाएगी

शक खा गया है मेरा कलेजा निकाल कर


भला क्यूं ना रोऊ अपने मौजूदा हाल पर
शक खा गया है मेरा कलेजा निकाल कर

क्या यकीं मिल जाये फिर वो चेहरा बदलकर
प्यार अगले जन्म में करूंगा देखभाल कर

हर दांव उसकी जफा के हक में जाता है
कई बार देख चुका हूँ सिक्का उछाल कर

जाने कब किस मोड़ पर हो जाये अलविदा
वो इसलिए रखता था मेरी बातें टालकर

गर आ गया है समझ में कमबख्त अच्छे से
मत रखना अब बेचैन कोई अरमां पालकर

जिस रोज उतरूंगा मैं बेवफाई पर
सौ गुना भारी पडूंगा उस हरजाई पर

वही शख्स मेरी मुखबरी कर रहा है
दिन रात लिखता हूँ जिसकी अंगडाई पर

किसके दम पर महफ़िल सजाने चला था ?
बैठा हंस रहा हूँ अपनी तन्हाई पर

दौरे-अलम में जो तमाशाबीन बने
किसलिए फक्र करूं ऐसी असनाई पर

महोब्बत का उसे देवता क्या माना ?
खूब सितम ढाता है अपनी खुदाई पर

वो ओरों पर क्या यकीं करेगा बेचैन
शक रहता है जिसे अपनी परछाई पर

तुम दोनों ही जिंदाबाद रहो

सदा सुखी रहो आबाद रहो
तुम दोनों ही जिंदाबाद रहो

कोई तरक्की करे कितनी ही
इक दूजे की बुनियाद रहो

जितने सितारे आसमान पर
आपस में उतना याद रहो

गम आये तो बाँटिये मिलकर
तुम वरना हमेशा शाद रहो

बेचैन नही होवोगे कभी
बुरे ख्यालो से आज़ाद रहो

घर में बर्तन है तो यारो टकरायेंगे जरुर


घर में बर्तन है तो यारो टकरायेंगे जरुर
थपेड़े इश्क में तकरार के आयेंगे जरुर

ना घबराकर लेना कभी कोई गलत फैंसला
वक्त के रहते गिले शिकवे मिट जायेंगे जरुर

सच्चा है अहसास अगर दोनों के दरमियान
इक दूजे के नाज़ नखरे उठाएंगे जरुर

दिलो दिमाग में मार लीजिए यह गाँठ पक्की
जहाँ वाले प्यार को गलत ठहराएंगे जरुर

गर आज नही तो तुम्हारे मरने के बाद बेचैन
तेरी याद में वो आंसू छलकायेंगे जरुर

कहते है वक्त से बड़ा मरहम नही कोई


कहते है वक्त से बड़ा मरहम नही कोई
हर जख्म भरता है बात में भ्रम नही कोई

मेरे चुटकलों पर यारों खूब हंसो मगर
मत सोचियेगा इस दिल में गम नही कोई

बिछड़कर बेशक कभी ख्वाबो में ही मिलना
पर कभी मत बोलना तेरे हम नही कोई

जिंदगी इस बार तुझे पा गया तो पा गया
वरना भटकेगी रूह अब जन्म नही कोई

सोच लिया है बची हुई सांसो ने बेचैन
सिवा तुझको याद करने अब कर्म नही कोई

जीत जाता अगर महाभारत में दुर्योदन दोस्तों


जीत जाता अगर महाभारत में दुर्योदन दोस्तों
तारीख में लिखता द्रोपदी बेचती थी तन दोस्तों

सियासतगर्दो में रही है बुरी आदत आगाज़ से
नजर आती है इन्हें अपनी पीढ़ी निर्धन दोस्तों

जनता की तरह फूट है नेताओ में भी वरना
ये सौदागर बेच डालते कब का वतन दोस्तों

कहते है कभी आसमान जमीन के करीब था
इंसानियत मरी तो ऊँचा उठ गया गगन दोस्तों

दिल महबूब-ओ-समाज के लिए बराबर धडके
थोडा समझाकर रखो अपना बेचैन मन दोस्तों

जफा की ओर मुझे तेरी हर बात ले जा रही है


उधेड़बुन में हूँ किस तरफ हयात ले जा रही है
जफा की ओर मुझे तेरी हर बात ले जा रही है

मैं चाहता तो नही था कभी उजालो से रुखसत
अफ़सोस मुझको अंधेरो में रात ले जा रही है

तेरे अहसास की नदी शायद अब नदी ना रहे
दरिया की ओर अश्को की बरसात ले जा रही है

महोब्बत पर असर दुआओं का उल्टा पड गया है
गुमनामियो में वफा अपने हालात ले जा रही है

आइन्दा से अपना ख्याल खुद ही रखना जिंदगी
मुझे बज्म से उठाकर कोई करामत ले जा रही है

बेबसी में रवानगी का दिन तक तय कर लिया है
मेरी सोच साथ अपने ज़ज्बात ले जा रही है

यकीनन खो ही जाऊंगा मैं भी जमाने की भीड़ में
खींचकर बेचैन मुझको कायनात ले जा रही है

दुआ असर लाएगी खुदा पर एतबार कर

सचमुच मेरी आरज़ू है तो इंतजार कर
दुआ असर लाएगी खुदा पर एतबार कर

नाटकबाज़ी से पर्दा अब गिरने वाला है
मेरा तब तलक खुद को थोडा तलबगार कर

तुम्हारा अपना कभी तुझसे नफरत ना करे
यकीनन चाहत है तो खरा व्यवहार कर

डूब जाएगी तेरी वफा की तमाम पूंजी
प्यार देने के मामले में ना उधार कर

तुझको रखेगा पलको पर बिठाकर बेचैन
अगर भरोसा है तो सच्चा इजहार कर

चबा डाले मुफलिसी ने बड़े बड़े हुनरमंद

उसने दिल नही सदा औकात को देखा
शायद ही कभी मेरे ज़ज्बात को देखा

इसलिए बेअसर रही मेरी पाक दुआए
खुदा ने मुझे देखकर कायनात को देखा

उसे अपनी कसमकश से ही फुर्सत ना थी
भला कब उसने मेरे ख्यालात को देखा

चबा डाले मुफलिसी ने बड़े बड़े हुनरमंद
जब झांक कर मरहूमो के हालात को देखा

वही समझेगा तुम्हारे दर्द को बेचैन
महोब्बत में जिस किसी ने मात को देखा

Friday, 21 September 2012

प्यार जिंदा रहता है मुलाकातों के सहारे

प्यार जिंदा रहता है मुलाकातों के सहारे
बचाकर रखोगे कब तलक बातों के सहारे

मैं इसलिए निकल आया छोड़कर उसको
वो बहला रहा था मुझे ज़ज्बातों के सहारे

बेशक से कल आती आज ही आ जाए मौत
नही लेना साँस उसकी खैरातों के सहारे

जवाब नही है तकदीर में तो नही है दोस्त
गुज़ार लूँगा जिंदगी सवालातों के सहारे

खुदा के वास्ते ना कोई भी नाम दे बेचैन
इश्क रोशन नही रिश्ते- नातों के सहारे

जिंदगी ज़ुल्फ़ नही है जो फिर से संवर जाएगी

एक बार उलझी तो उलझती चली जाएगी
जिंदगी ज़ुल्फ़ नही है जो फिर से संवर जाएगी

सोच समझकर ही लीजिएगा हरेक फैंसला
सदा लिए बात कोई शर्मिंदा कर जाएगी

तुम बेशक कूच कर जाओ मेरी दिल से लेकिन
मैं देखता हूँ तुम्हारी याद किधर जायेगी

जब तलक आएगा तेरे होश को होश जान
तब तक मेरी याद खुशबू बनके बिखर जाएगी

बेचैन प्यार के सिवा कोई भी और जिक्र छेड़
दास्ताने इश्क सुन मेरी आँख भर जायेगी

कल वो फिर याद आयेंगे तो देखी जाएगी

चलो आज का काम तो चल गया शराब पीकर
कल वो फिर याद आयेंगे तो देखी जाएगी

सो जाऊंगा बिना खाए पिए नशे में पड़कर
रात को ख्वाब सतायेंगे तो देखी जाएगी

खो जाऊंगा उसकी यादों के बियाबान में
लोग उँगली उठाएंगे तो देखी जाएगी

उसको जी भर कर देखने की आरज़ू में
हम मिट भी अगर जायेंगे तो देखी जाएगी

मैं तो कभी जफा नही करूंगा बेचैन मगर
पर बेवफा कहलायेंगे तो देखी जाएगी



Wednesday, 19 September 2012

जी भर कर देखे बगैर मेरी प्रेम कहानी अधूरी है


मैं झूठा मेरी तडफ झूठी सच्ची तेरी मजबूरी है
हाँ समझ गया हूँ तेरी महोब्बत कितनी मीठी छूरी है

जिस रोज मेरी प्यास तुम्हारे होठों पर पपड़ी ला देगी
तब बताना सिवा प्यार के दुनिया में क्या पाना जरूरी है

बता कोरे ज़ज्बातों के दम पर कब तक दूं खुद को तसल्ली
जी भर कर देखे बगैर मेरी प्रेम कहानी अधूरी है

तुझे कसम है तेरे ही ज़ज्बातों की मुझसे आन मिलो
मुझको लेकर अगर तुम्हारा कोई भी सपना सिन्दूरी है

हम दोनों के बीच फसाद की वही तो असली जड़ है जान
हाँ  मेरे मन से तेरे मन की बेचैन जितनी दूरी है

Tuesday, 18 September 2012

मैं फायदा उठा रहा हूँ भोलेपन का कहते क्यूं नही

तुझे सोचकर दर्द बढ़ता है मेरे मन का कहते क्यूं नही
मैं हिस्सा बन गया हूँ तेरी उलझन का कहते क्यूं नही

जिंदगी सच बता वास्ता है तुझको तेरी ही पाकीजगी का
मैं तुझे चोर दिखता हूँ ना तेरे तन का कहते क्यूं नही

जो इल्जाम कल जमाना देगा तू आज ही दे दे तो अच्छा
मैं फायदा उठा रहा हूँ भोलेपन का कहते क्यूं नही

मेरी मुफलिसी-ओ- किरदार तेरे रुतबे आगे छोटे है
यही सबब तो है रोजाना की अनबन का कहते क्यूं नही

वैसे भी तो तुझको मर्द जात से सख्त नफरत है बेचैन
नही है भरोसा है तेरे चाल चलन का कहते क्यूं नही








Monday, 17 September 2012

तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में

तू अश्क बनकर रहता है डबडबाई आँखों में
तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में

तू मिले जिस रोज उस दिन झांक कर देख लेना
सुबक सुबक कर पड़ गई है कितनी काई आँखों में

इसलिए ज्यादा फिक्रमंद मैं आजकल रहने लगा हूँ
अपना घर बसा चुकी है जान तन्हाई आँखों में

तू करता तो है बात के साथ मुझ पर शक मगर
क्या लगती है तुझे कही से बेवफाई आँखों में

इससे जियादा तुझे और क्या कहू बेचैन
तडफती रहती है प्यार की सच्चाई आँखों में

Sunday, 16 September 2012

दिल जब महबूब के इशारों के बीच बैठा

आज मैं सच्चे कलमकारों के बीच बैठा ,,,
जज्बात में डूबे हुवे यारो के बीच बैठा

उम्मीदों से सौ गुना सफल हुआ आयोजन
शहर जब धुरंधर फनकारों के बीच बैठा ,,,

सभी को तो भा गया अंदाज़ कवि संगम का
दिल जब हमख्याल बंजारों के बीच बैठा ,,,,

लागू हो जाये देश में तो आ जाये बदलाव
दोस्तों आज ऐसे विचारों के बीच बैठा

हां बेचैन को भी उस वक्त चैन मिल गया
दिल जब महबूब के इशारों के बीच बैठा

Saturday, 15 September 2012

अगले जन्म में मुझे भी किसी जान बनाना दाता

जमाना औरत को हद से ज्यादा बेबस कहता है
मर्द के उस दर्द का क्या जिसे मन में सहता है

नजर अंदाज़ कर दी जाती है हर एक तकलीफ
आदमी की रूह से जब कभी भी आंसू बहता है

खासकर शादीशुदा लोगो की दिक्कत मत पूछो
जिनके ख्वाबो का किला कंवारेपन से ढहता है

माँ बहन बेटी ओ महबूबा को कितना ही प्यार दे
फिर भी बेचारे पर बेवफाई का दाग रहता है

अगले जन्म में मुझे भी किसी जान बनाना दाता
इस जन्म का कर्ज़ बेचैन चीख चीखकर कहता है


Friday, 14 September 2012

न जाने कौन पायेगा मुस्कुराहट तुम्हारी

हमें तो अक्सर मिलती है गुर्राहट तुम्हारी
न जाने कौन पायेगा मुस्कुराहट तुम्हारी

उफ़.जिस्म के पुर्जे पुर्जे की बेजोड़ नक्कासी
फिर ऊपर से जानलेवा खिलखिलाहट तुम्हारी

ये तेरे हुश्न की महक है या काला जादू
अंधे तलक पहचान लेते है आहट तुम्हारी

जब भी देखा है गुस्सा नाक पर देखा है
आखिर कब देख पायेंगे नरमाहट तुम्हारी

सच बता तो सही बेचैन ये क्या माजरा है
क्यूं बढ़ रही दिनों दिन छटपटाहट तुम्हारी

Thursday, 13 September 2012

वो जिंदा था तो तेरे नखरे नही सिमटे

वो जिंदा था तो तेरे नखरे नही सिमटे
अब रो उमर भर उस बदनसीब के लिए

वो प्यार में फरेब खाकर यूं कर गया कूच
छोटी पड़ गई थी दुनिया गरीब के लिए

शक्ल तो दूर आवाज़ तक न सुनाई देगी
अब रोजाना तरसो उस हबीब के लिए

तू मूंदकर आँखे जरा याद करके देख
वो सदा रोता था तेरे करीब के लिए

तू ही तो समझता था आबरू का दुश्मन
अब क्यूं बेचैन है मरहूम रकीब के लिए

Tuesday, 11 September 2012

किसलिए मेरे सांस लेने में तू खड़ी परेशानी करता है

दिल है की तुम्हारे वादों पर धडकने की नादानी करता है
एक तू है की तस्वीर तक देने में आनाकानी करता है

मेरे साथ मेरी महोब्बत का किस्सा अब होने भी दे खत्म
रोज बातें बनाकर मुझपे क्यूं झूठी मेहरबानी करता है

तुझसे नही चाहिए कोई भी जवाब मगर इतना सा बता दे
किसलिए मेरे सांस लेने में तू खड़ी परेशानी करता है

कुछ मत बोलियेगा तेरे चेहरे ने सब बोल दिया मेज़बान
हाँ मजबूरी में तू मेहमानों की चाय पानी करता है

ये मैं नही कहता हूँ तारीख में साफ़ साफ़ लिखा है बेचैन
वो पछताता है जो किसी के जज्बात से छेड़खानी करता है

Saturday, 8 September 2012

ये हीरा चाटकर मर जाऊ रब की कसम

ज़हर से बुझे हुवे तुम्हारे लब की कसम
ये हीरा चाटकर मर जाऊ रब की कसम

हुश्न-ए- बला आगे फीके पड़ गये शेर
हां मुझे मेरी शायरी के ढब की कसम

कुदरत की पहली नेमत है तेरा हुश्न
ये पेड़ पर्वत नदिया इन सब की कसम

तुझ पर कर सकता हूँ उम्र भर शायरी
उर्दू के उस्तादों की अदब की कसम

तू जिसे देखे हंसकर बेचैन हो जाये
बेहद खूब है जो उसी गजब की कसम

अल्लाह मेरी जानम को गुलफाम कर दो

मैंने कब कहा चाहत अपनी आम कर दो
ये रूतबा-ओ-आबरू मेरे नाम कर दो

तुम्हारी सोच ही तुम्हारी दुश्मन बनी है
बस ढंग से तुम इसका एहतराम कर दो

मैं दिल में नही तो दिमाग में तो रहूँगा
बस अपनी नफरत का मुझको गुलाम कर दो

तेरे घर आगे से हो रही गुजर आखरी
तुम अब तो मुझे आखरी इक सलाम कर दो

मेरे दामन में भर दो चाहे तमाम खार
अल्लाह मेरी जानम को गुलफाम कर दो

मिल जाये उसे शायद शकून-ए-दौलत
बेचैन मुझे वक्त के हाथो नीलाम कर दो


Thursday, 6 September 2012

गिरफ्तार हूँ जुल्फों में पहले से जनाब मैं

तेरी खुमारी कम हो तो पीऊ शराब मैं
अब क्या लगाऊ अपनी बेखुदी का हिसाब मैं

कर्मजला इश्क  मुझे कही का ना छोड़ेगा
सिवा तेरे नही देखता कोई भी ख्वाब मैं

जब से तेरे लबो को गौर से देखा है
मुह सिकोड़ लेता हूँ देखकर गुलाब मैं

मुझे क्या करेगा जेल भीतर थानेदार
गिरफ्तार हूँ जुल्फों में पहले से जनाब मैं

क्या मेरी तरह से वो भी इश्क में पागल है
नही दे पाऊंगा सचमुच कोई जवाब मैं

कमबख्त दिल तो अभी तक भी बच्चा ठहरा
इसलिए लगाता हूँ बालों में हिजाब मैं

अश्को में दिखती है उसकी शक्ल बेचैन
बस इसलिए रखता हूँ  आँखे पुरआब मैं

Tuesday, 4 September 2012

मेरी तो हर सांस में है मौसम यादों का

कहो तो हलफनामा दे दूं अपने वादों का
जिंदगी कच्चा ना समझ मुझे इरादों का

मैं हालात की भट्ठी से तपकर निकला हूँ
नही है मुझमे कमीनापन शहजादों का

तू करता होगा फुरसत निकाल कर याद
मेरी तो हर सांस में है मौसम यादों का

हवस को जो महोब्बत का नाम देते है
बस चले तो नाश कर दूं हरामजादों का

सदा इश्क में रखूंगा भोलापन बेचैन
बेशक जमाना नही है सीधे-सादों का

Monday, 3 September 2012

ये मुस्कुराना कलेजे के पार लगता है


हुश्न तेरा बेहद ही खूंखार लगता है
तू तो कोई विदेशी हथियार लगता है

तुम्हारे लिए होगी जरा सी अदा मगर
ये मुस्कुराना कलेजे के पार लगता है

सचमुच नही होगा मन देखकर बेईमान
बता किस पर तुझको एतबार लगता है

आग बिजली शोला-ओ-कयामत एक साथ
मुझको तो तबाही का आसार लगता है

क्या सोचकर दे तुझे कोई फूल बेचैन
तू सरापा कोई गुलज़ार लगता है

Thursday, 23 August 2012

साला रोयेगा तो लोग कह देंगे भीगा हुआ है

वो बरसात के मौसम में ये सोचकर छोड़ गया
साला रोयेगा तो लोग कह देंगे भीगा हुआ है

हुश्न वालो की हुश्यारी देखकर सोचता हूँ
हरेक दांवपेच माँ के पेट से सीखा हुआ है

इतना भी रंज ना करो किसी की बेवफाई का
आपके साथ वो हुआ जो नसीब में लिखा हुआ है

महोब्बत, रिश्ते, व्यपार सब मुखोटाधारी है
आज अपने ईमान पर बता कौन टिका हुआ है

महबूब क्यूं करेगा फ़िक्र तुझ मुफलिस की बेचैन
वो ऐसो-आराम के हाथों में बिका हुआ है

Monday, 20 August 2012

खुदा जाने किस हाल में चाँद मेरा

मजबूरियों के जाल में है चाँद मेरा
खुदा जाने किस हाल में चाँद मेरा

ईद का मौका है मैं खुश तो हूँ मगर
अनसुलझे सवाल में है चाँद मेरा

तभी अपना दीदार नही करवाया
शायद मलाल में है में चाँद मेरा

जीते जी नही टूटेगा यह भ्रम
मेरे इस्तकबाल में है चाँद मेरा

परियो का जिक्र है जहाँ भी बेचैन
हरेक उस मिसाल में है चाँद मेरा

हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है

व्यवस्थाओ को पसीना आया हुआ है
इसलिए तो आदमी घबराया हुआ है

प्रशासन के चेहरे से साफ़ झलकता है
बुरी तरह से खादी का सताया हुआ है

होते अंग्रेज तो फिर भगा देते देशभग्त
हमें तो अपनों ने गुलाम बनाया हुआ है

किरदार नेताओ का छिपा नही किसी से
कितना टुच्चापन इनमे समाया हुआ है

अहिंसा का ढोल पीटने वालो शर्म करो
गाँधी का फूल देश में कुम्हलाया हुआ है

सुविधाओ ने मेहनत को मारा है जब से
अय्यासी ने जमीर बेचकर खाया हुआ है

यह कैसी शर्मिंदगी है माथे पर  बेचैन
जिसे भी देखो वही शख्स पछताया हुआ है


Monday, 13 August 2012

इश्क आदमी को दुनियादारी सिखाता है

वो दर्द बनकर ज़हन में जब उतर जाता है
शेर कहने का ढंग मुझे तभी तो आता है

कोई यकीं नही करेगा मगर सच कहता हूँ
वो तस्वीर से निकलकर अक्सर बतियाता है

कोई पागलपन कहे तो सौ बार कहे मगर
उसके ख्यालो को दिल ओढ़ता बिछाता है

रति भर भी झूठ नही इस जुमले में दोस्तों
इश्क आदमी को दुनियादारी सिखाता है

ईद होली दीपावली जैसी ख़ुशी मिलती है
मेरी सेहत की वो जब भी फ़िक्र उठाता है

खुल जाते है जख्मो के सब टांके बेचैन
वो जरा सी भी जब नाराजगी जताता है

Sunday, 12 August 2012

मुझे फरेब के दांवपेंच चलाने नही आते

मुझे चेहरे पर मुखौटे लगाने नही आते
शायद इसीलिए रिश्ते निभाने नही आते

मैं तो संजीदगी में लेता हूँ जीने का मज़ा
मुझे मस्ती के चोंचले अपनाने नही आते

बताओ कैसे पोत लूं झूठ से ज़हन अपना
मुझे फरेब के दांवपेंच चलाने नही आते

वो और ही होंगे जो थूक कर चाट लेते है
मुझको वायदे अपने झूठलाने नही आते

उसको लेकर देता हूँ रोज नया इंतिहान
ये नही की लोग मुझे उकसाने नही आते

उसका इसलिए नही मानता बुरा मैं कभी
दुखो की सौगात देने बेगाने नही आते

जब से मालूम हुआ इनमे खुदा बसता है
बच्चे मुझको बेचैन धमकाने नही आते

Saturday, 11 August 2012

सीने से लगाकर कमबख्त किताब रखता है

हुश्न अपनी अदाओ का कब हिसाब रखता है
ये मुनीमी आशिक का दिले-बेताब रखता है

अब कौन समझाए इस खूबसूरत बला को
पड़ोसी भी उसे पाने का ख्वाब रखता है

वो रफ्तार धडकनों की थामने के बहाने
सीने से लगाकर कमबख्त किताब रखता है

उसे देख हो ना जाये कही ट्रेफिक जाम
इसलिए चेहरे पर ढककर हिजाब रखता है

वो पीयेगा इन आँखों से पटियाला पैग
जो रगों में अपने मस्ती-ए-पंजाब रखता है

उसके बदन की महक कही कर न दे हंगामा
इसलिए जुल्फों पर लगाकर गुलाब रखता है

हो सके तो अपना बहम दफना दे बेचैन
कौन किसके लिए आँखे पुरआब रखता है

Friday, 10 August 2012

उनसे की उम्मीदे सारी समेटता चलूँ

आह,तडफ और बेकरारी समेटता चलूँ
उनसे की उम्मीदे सारी समेटता चलूँ

आज के बाद शायद हो इस राह से गुजर
सफर की हर एक यादगारी समेटता चलूँ

बहुत करवा चुका खराब मिटटी जज्बात की 
गिले-शिकवो की रेजगारी समेटता चलूँ

आने वाली पीढ़ियों को ना लगे ये रोग
मैं क्यूं ना इश्क की बिमारी समेटता चलूँ

जोडकर प्यार की नकदी का हिसाब बेचैन
कसमें-वादों की उधारी समेटता चलूँ

Wednesday, 8 August 2012

धन्यावाद, मुझको कब्र तक छोड़कर जाने वालो

मैं ही जानता हूँ कितना खारा है यह पानी
शराबी -शराबी कहकर मुझे सताने वालो

मयकशी अचूक दवा होती है दर्दे जिगर की
सम्भलो,डाक्टरों से खुद को लुटवाने वालो

आगे का सफर अकेला ही तय कर लूँगा मैं
धन्यावाद, मुझको कब्र तक छोड़कर जाने वालो

तुम उसके भी तो कान खींचों जाकर किसी दिन
महोब्बत में मुझको ही सही गलत समझाने वालो

अब तो देख कर मुझे उड़ा लो कितनी ही हंसी
कभी होश में आया तो पूछूंगा जमाने वालो

किसी और का गुस्सा बोतल पर उतरा करेगा
अब तुम्हारी खैर नही है मयखाने वालो

गलतफहमी के शिकार हो जाओगे बेचैन
महबूब से हर बात का जिक्र उठाने वालो

Friday, 3 August 2012

ना मालूम था यूं गुज़ेगी हमपे अब की साल यारों

इश्क ने हमसे सब कुछ लूटा कर डाले कंगाल यारों
ना मालूम था यूं गुज़ेगी हमपे अब की साल यारों

आँख में आंसू आहें लबों पर दिल में धुंआ सा उठता है
बेबस है बस जीने को और मरना हुआ है मुहाल यारो

ख्वाब दिखाए थे जो उसने सबके सब वो फर्जी थे
रोज पशेमा करते है अब मुझको मेरे ख्याल यारो

जो पाक महोल्ब्ब्त करते है वो खून के आंसू रोते है
कोई नही करता है उनकी आज के दिन सम्भाल यारो

चैन गंवाकर ही सीखा है हमने महोब्बत में बेचैन
अच्छी सूरत वाले ही तो बनते है जी का जंजाल यारो

Wednesday, 1 August 2012

वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

 अभी रिश्तो में इतनी गिरावट आई नही है
वो बहन मुझे राखी बांधे जिनका भाई नही है

किसी की आँखों में देखू रक्षा बंधन पर आंसू
कम से कम मेरा ज़हन इतना तमाशाई नही है

हमारी ही कमी से है आज टोटा लडकियों का
इसमें कुदरत की कही से भी अगुआई नही है

सदा याद रखना बेटे की चाहत रखने वालों
बिना बेटी के मुक्ति देवो ने भी पाई नही है

महबूबा को परी कहने वालो सच सच बताओ
क्या बहन में बेचैन खूबसूरती समाई नही है



Tuesday, 31 July 2012

आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

मन तो अपना कबका उड़ चुका बाकि
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा

बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा

सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा

गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा

तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा