Friends

Tuesday 23 August 2011

बाल कविता लिखने का प्रयास किया था ये बन गई दोस्तों अगर मैं कोई प्याऊ होता



मेरी खाट नीचे भी बिलाऊ होता
काश मैं भी किसे का ताऊ होता
डरते मेरे त भी छोटे-छोटे बालक
शक्ल का अगर मैं हाऊ होता
पीता दूध जित भी फसता मेरे
अगर मैं सचमुच म्याऊ होता
आता काम गर्मियों में प्यासों के
दोस्तों अगर मैं कोई प्याऊ होता
सरकार के पास बेचैन बात खातिर
कोए तो गधा काम चलाऊ होता



 

आत्मा ना गिरवी धरो सरकार के नुमायेंदो



बेशर्मी भी इतना न करो सरकार के नुमायेंदो
शर्म बची है तो डूब मरो सरकार के नुमायेंदो
लोकपाल पर पूरा देश हाय तौबा मचा रहा है
आत्मा ना गिरवी धरो सरकार के नुमायेंदो
फूटा जो घडा पाप का तो बर्बाद हो जाओगे
माल ना हराम का चरो सरकार के नुमायेंदो
देश के खातिर अन्ना ने इक सपना देखा है
उस सपने में रंग भरो सरकार के नुमायेंदो
चाहते हो अगर देश में कोई बेचैन ना हो
गरीबों के दुःख हरो सरकार के नुमायेंदो