चाहे हलाल कर या जी भरके प्यार दे
हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे
बंद कर दिया है सोचना मैंने आजकल
नही फर्क पड़ेगा कितना ही इंतजार दे
खुद से जियादा तुझपे भरोसा किया है
शर्मिंदा करना है तो झूठा एतबार दे
आती है कमी अगर सजने संवरने में
मेरे लहू का अपने लबों को सिंगार दे
बेचैन इश्क का मजा दुगना आयेगा
महबूब को दाता तडफ और खुमार दे
हुस्न तेरी मर्जी जीने दे या मार दे
बंद कर दिया है सोचना मैंने आजकल
नही फर्क पड़ेगा कितना ही इंतजार दे
खुद से जियादा तुझपे भरोसा किया है
शर्मिंदा करना है तो झूठा एतबार दे
आती है कमी अगर सजने संवरने में
मेरे लहू का अपने लबों को सिंगार दे
बेचैन इश्क का मजा दुगना आयेगा
महबूब को दाता तडफ और खुमार दे