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Wednesday 7 December 2011

उनसे कोई ख्वाइश अब और ना करूंगा

अहसास की नुमाइश अब और ना करूंगा
उनसे कोई ख्वाइश अब और ना करूंगा

उसने भी थोडा बहुत महसूस किया होगा
समझाने की गुंजाइश अब और ना करूंगा

पहले ही उसने मुझे बहुत कुछ दिया है
मैं कोई भी फरमाइश अब और ना करूंगा

जगह बना ली है उसने अब मेरे दिल में
फालतू की सताइश अब और ना करूंगा

वो कितने ही बेचैन होकर करे मुझसे बात
ज़ज्बात की पैमाइश अब और ना करूंगा
सताइश--प्रशंसा

सबके हिस्से में है भाई एक कमीना रिश्तेदार

बर्बादी की है परछाई एक कमीना रिश्तेदार
सबके हिस्से में है भाई एक कमीना रिश्तेदार

गुड और शहद सी मिठास रखता है जुबां में
आदमी है या मिठाई एक कमीना रिश्तेदार

चुगली और साजिस का बनकर ख़ास हिस्सा
आएगा देने सफाई एक कमीना रिश्तेदार

खुश होकर महफ़िल में झुमने वालो सुन लो
बांटता फिरे है तन्हाई एक कमीना रिश्तेदार

घर का झगड़ा सुलझाएगा नही, देखेगा
है बहुत बड़ा तमाशाई एक कमीना रिश्तेदार

फंसकर ही समझोगे तुम बात को बेचैन
कितना बड़ा है कसाई एक कमीना रिश्तेदार

कुछेक रिश्तेदारों को तो वाकई छोड़ देता

वो बेशर्मी से आंचल की बात करते है
जिसको चुनरी तक भी नही ओढना आता

मार नही खाते फिर कभी दुनियादारी में
काश हमें झूठ का निम्बू निचोड़ना आता

कुछेक रिश्तेदारों को तो वाकई छोड़ देता
सचमुच मुझको अगर साथ छोड़ना आता

अफ़सोस कम हो जाता गरीबी का खुदा
मेरे नसीब को गर थोडा तेज़ दौड़ना आता

ना होता घाटा दुकानदारी में बेचैन
यारों के खातों गर हिसाब जोड़ना आता
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