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Saturday 17 December 2011

आओ बुज़ुर्गवारों की तरह प्यार करते है

जोशे जवानी में ना तुम आओ ना हम आये
आओ बुज़ुर्गवारों की तरह प्यार करते है

कमीनी है दुनिया साथ साथ रहने नही देगी
चलो मन ही मन आपस में इजहार करते है

हम बिस्तर पकड़ लेंगे तो ख्याल खूब घेरेंगे
आज से थोडा थोडा खुद को बीमार करते है

इश्क में उन्ही के हिस्से में आती है शर्मिंदगी
जो खुद को हद से ज्यादा होशियार करते है

उनको हर हाल में होता है उनको घाटा बेचैन
अक्सर दिल लेने देने का जो व्यपार करते है




अपनी माँ को भी इतना ही चाहता था

अपनी माँ को भी इतना ही चाहता था
मैं जितना आज तुझसे प्यार करता हूँ

इससे पहले की लोग मुझे कहे दीवाना
मैं खुद सरे महफ़िल इकरार करता हूँ

तुम्ही कहो किसकी कसम खाकर कहू
मैं जन्मों से तुम्हारा इंतजार करता हूँ

डूब सा जाता हूँ आखों की गहराइयों में
तेरी तस्वीर का मैं जब दीदार करता हूँ

इसीलिए तो जीतूँगा दिल की बाज़ी बेचैन
खुद से जियादा तुम पर एतबार करता हूँ