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Wednesday 10 October 2012

जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

मौत तो लाजिम है एक रोज सबकी दोस्त
जा तुझको पाकर कौन सा अमर हो जाऊंगा

बस इतना ही हश्र होगा तुमसे बिछड़कर
रफ्ता रफ्ता भीतर से पत्थर हो जाऊंगा

गिरती रही मुझमे अगर खौफ की नदियाँ
देख लेना एक रोज समन्दर हो जाऊंगा

किस लिए करू हाय तौबा आरज़ू पालकर
साथ क्या जायेगा गर सिकन्दर हो जाऊंगा

बस इतना याद रखना बाद मेरे बेचैन
मैं झुका हुआ भरोसे का सर हो जाऊंगा

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है

तजुर्बे ने जिसको भी जितना सिखाया है
रूप जिंदगी का वही निकलकर आया है

वक्त ने उसी को चित करके छोड़ा है
अक्लमंदी का जिसने रौब जमाया है

भीड़ रिश्ते नातों की कुछ भी तो नही है
जान बूझकर हमने सर पर चढ़ाया है

दोस्तों उम्र पर भी हंसी आने लगती है
दिवानगी का जब दिल ने राग गाया है

जो कुछ भी है वजूद ही तो है बेचैन
फिर जिस्म पर हुश्न किसलिए इतराया है

कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है



कागज़ के फूलो की मुझे क्या जरूरत है
जब पहलू में महका गुलाब लिए बैठा हूँ

कोई सितारों सी चमक रखता है तो रखे
मैं दिल में अपने महताब लिए बैठा हूँ

तू मंजिल की हद जिसे समझता है रकीब
मैं उससे आगे का ख्वाब लिए बैठा हूँ

यूं कम नही होगा मेरा नशा उम्र भर
इश्क की आँखों में शराब लिए बैठा हूँ

इसलिए नही देता तरजीह सवालों को
जवाबो का भी मैं जवाब लिए बैठा हूँ

वजूद के जिंदा रहने का यही सबब है
सच से टकराने की ताब लिए बैठा हूँ

बाकि है अभी मिलनी लानत दुनिया की
यही सोचकर जिंदा कसाब लिए बैठा हूँ

वक्त मुझे धोखा देगा तो कैसे देगा
पाई पाई का बेचैन हिसाब लिए बैठा हूँ

बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो


बीवी हो बीवी की तरह रहो, दिलरुबा ना बनो
तुम तो बच्चो की ही सही हो, मेरी माँ ना बनो

रहना है तो दिमाग में रहो ज़िम्मेदारी बनकर
दिल में उछल कूद करने का सिलसिला ना बनो

जिसने कीमत दी है वही है ख्वाबो का मालिक
किसी की अमानत को पाने का हौसला ना बनो

कभी मत भूल हद मीठे की कडवाहट होती है
ज्यादा चासनी में डूबी हुई तुम जुबा ना बनो

उम्मीदों पर खरे ना उतरे तो पाप लगेगा
कभी इश्क में बेचैन किसी का खुदा ना बनो

कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना


कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना

बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना

किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना

कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना

कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना

जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना

मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना

वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है


तू सच में कही से जो मेरा गमख्वार है
तस्वीर भेज अपनी अगर मुझसे प्यार है

मैं लाश जिंदा बन गया हूँ दो ही रोज में
दिन बाकि उम्र के पड़े अभी कई हजार है

वादा वफा हंसने का हर हाल में होगा
वैसे भी मेरा चुटकलों का कारोबार है

मत भूलना कभी कही कोई तडफ रहा है
दुनिया में किसी को तुम्हारा इंतजार है

हम किस तरह करीब आये एक दूजे के
हाहा दास्तान अपनी वाकई मजेदार है

मजबूरी-ओ-नसीब दोनों पीछे पड़े है
शायद इसी का नाम बेचैन संसार है