जब भी मेरे काम की बात आई
कोई न कोई मुश्किलात आई
करने लगा गरीब छत पक्की
बड़ी ही जोर की बरसात आई
हिज्रमन्दो के हिस्से में आखिर
क्यों बेकसी लेकर रात आई
दानियो का पड़ोसी होकर देखा
दामन में ना कोई खैरात आई
सीख गया वो मुकरने का हुनर
जब सियासत उसके हाथ आई
मौत आई तो कहना पड़ा बेचैन
कतई ना रास मुझे हयात आई