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Thursday 20 December 2012

अ आस्तीन के सांपों दिल तुम्हारा आभारी है


एक ने दिल तो एक ने पेट पर लात मारी है
अ आस्तीन के सांपों दिल तुम्हारा आभारी है

मेरे सामने मत आना अ कातिलों तुम कभी भी
सचमुच अगर तुम में अपने भरम की खुद्दारी है

किसी पर भी यकीं करने लायक नही छोड़ा मुझे
खतरनाक तुम दोनों में सांझे की हुशयारी है

तुम कौन सा बाज़ी मार गये दिल दुखाकर मेरा
दुखों से लड़ाई मेरी तो बचपने से जारी है

मुफलिसी कब से चीख रही है दगाबाज़ अमीरों
हम धरती का बोझ है क्या औकात हमारी है

जमीन पर जिनको ढंग से चलना नही आता है
सुना है उनकी चाँद पर जाने की तैयारी है

बचने में ही भलाई है उन लोगों से बेचैन
दुनिया के सामने जो भी गजब के व्यवहारी है