Friends

Sunday 27 May 2012

पीने वालों की अलग अलग जमात है बेचैन

मत ज्यादा फ़िक्रमंद हो अपने दीवाने के लिए
एक ही बोतल काफी है मुझे लुढ़काने के लिए

एक तो संडे, मूड खराब ऊपर से तेरी याद
क्या इतने बहाने कम है पीने पिलाने के लिए

पांचवी पास पप्पू भी पैग लगाकर चिल्लाया
पढाई लिखाई जरूरी नही मयखाने के लिए

मन्दिर की घंटिया नही जिसे हर कोई बजा दे
कलेजा चाहिए पीकर गाडी चलाने के लिए

अमीर-गरीब सब एक साथ बैठ कर पीते है
ऊँची ज़ात जरूरी नही पैग लगाने के लिए

खूब जी दुखी पाता है उस वक्त शराबियों का
जब बैठता है कोई फक्त चने खाने के लिए

पीने वालों की अलग अलग जमात है बेचैन
कुछ आदतन कुछेक पीते शोर मचाने के लिए


हर तरफ से तेरे तो हिस्से में मात है

दिल भी कहता है पेचीदा हालात है
कुछ भी हो सकता है डरने की बात है

इश्क में हर कदम फूंककर रखियेगा
हाँ डूबना तैरना खुद के ही हाथ है

इक तरफ दुनिया है इक तरफ अहसास
सोचो किसके बिना अधूरी हयात है

दिल में नफरत महोब्बत तू कुछ भी उगा
पास अश्कों की गर तुम्हारे बरसात है

मसखरी हर कदम पर की है तकदीर ने
तेरे संग से ही सब संजीदा जज्बात है

सांसो में रखता हूँ मैं छिपाकर तुझको
तलाश कर ले कोई किसकी औकात है

पीछे हट या आगे बढ़ जाओ बेचैन
हर तरफ से तेरे तो हिस्से में मात है






Friday 25 May 2012

सब जुगनू है बेचैन पैदाइश उनकी

आज तक जारी है आजमाइश उनकी
खुदा ही जाने क्या है ख्वाइश उनकी

वजूद का कोना कोना तो नाप चुका
बाकि है और कितनी पैमाइश उनकी

जां देने तक की मैंने हामी भर ली
और क्या पूरी करू फरमाइश उनकी

माँ के बाद उसी का दिल खूबसूरत लगा
इससे ज्यादा क्या करू सताइश उनकी

देर सवेर पलको पर चमकने वाले
सब जुगनू है बेचैन पैदाइश उनकी

सताइश -- प्रशंसा

Thursday 24 May 2012

मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था

कुछ दोस्त कमीने निकले कुछ वक्त खराब था
मैं उन दिनों वरना सौ फीसदी कामयाब था

कब सोचा था नागफनी मेरे आंगन में उगे
मेरी सोच में बचपन से महकता गुलाब था

हां साज़िसों के आगे बेबस थी मेरी तकदीर
बेईमानों के झुण्ड में मैं अकेला जनाब था

मेरे साथ यारों को हिस्से का आसमां मिले
यही तो जुर्म था मेरा बस यही इक ख्वाब था

चलेगी साँस जब तलक ना भूलूंगा वो मंजर
मेरी बर्बादी का हर एक कदम लाजवाब था

नही मालूम क्यूं हो गया था सफर बनवास
मेरे पास मेरी मेहनत का पूरा हिसाब था

अब तू मिल गया है मुझे फिर बना लूँगा महल
पूछा तो खंडहरों का बेचैन यही जवाब था

Monday 21 May 2012

सबके होठों पर सर्द आह के प्याले होंगे

जितनी सिद्दत से जिसमे दर्द के नाले होंगे
उन्ही जख्मो से महोब्बत में उजाले होंगे

जिसको हर हाल में टूटना- बिखर जाना है
कल वही ख्वाब दिवानो के हवाले होंगे

मुझको नही मिलने के सैकड़ो सबब होंगे
खत तो उसने रोज डाक में डाले होंगे

गम के मारो की महफ़िल में देखिये जाकर
सबके होठों पर सर्द आह के प्याले होंगे

देख कर लगता है उसूले उल्फत अक्सर
जर्फ़ वालों की कसौटी पर निकाले होंगे

उसे पहला हक है बेचैन सफाई देने का
जिसने आस्तीनों में सांप ना पाले होंगे


Wednesday 16 May 2012

मुझसे पूछो तो गीता और कुरआन हो तुम




मन्दिर की आरती मस्जिद की अजान हो तुम
मुझसे पूछो तो गीता और कुरआन हो तुम

इस जन्म में तो हम तुम जुदा होने से रहे
बताओ तो सही किसलिए परेशान हो तुम

बहरी हो या तुम्हारे दिमाग में खराबी है
तुझसे कितनी दफा कहू मेरी जान हो तुम

रूह सकूं पाती है तुम्हारा नाम लेने से
भला फिर क्यूं नहीं कहूं मेरा ध्यान हो तुम

मेरे जमीर ने तो तुझे खुदा मान लिया है
अब बेशक से लाख दर्जा बेईमान हो तुम

पाकर तुझको ख्वाब सजाने सीख गया हूँ
हकीकतन मेरे हौशले की उड़ान हो तुम

बता तो सही तुझको छोड़कर जाऊंगा कहाँ
मेरी धरती और बेचैन आसमान हो तुम

Tuesday 15 May 2012

जिसे मौका मिला दोष लगा गया

जिंदगी में यारों दौर क्या आ गया
खुद के साए से ही मन घबरा गया

सही हूँ या गलत फैंसला कौन करे
सोच को इश्क का दीमक खा गया

लोग आँखों में शक लिए फिरते है
जिसे मौका मिला दोष लगा गया

लौटकर मैं दुबारा से नही आऊंगा
लम्हा जाता हुआ यही समझा गया

मैं अकेला  नही दुनिया में बेचैन
बेकसी का सभी पर दिल आ गया

Monday 14 May 2012

मैंने तो तुझको अपना ईमान बना लिया है

दफन करता जाऊंगा तेरी सब गलतियों को
मैंने दिल में अपने कब्रिस्तान बना लिया है

मुझे उम्र भर निभाना है अहसास का रिश्ता
यही सोच तुझको अपनी जान बना लिया है

अब तेरे ही हाथों में है लाज अ महबूब
मैंने इश्क को अपना भगवान बना लिया है

घर तो तुम्हारे आने के बाद ही बनेगा
कहने भर को बेशक मकान बना लिया है

चाहो तो झूठा साबित कर देना बेचैन
मैंने तो तुझको अपना ईमान बना लिया है

Sunday 13 May 2012

तुम्हारे आगे आएगी तुम्हारी समझदारी

खासकर बेटो को है मुफ्त में मशवरा जारी
बीवी की हाजरी छोड़, करे माँ की तरफदारी

दबोच लेगी मियाँ बीवी को बाद में तो गृहस्थी
घर में बुढिया बैठी है जब तक है ऐश तुम्हारी

शौहर कमाता है दिमाग से निकाल दो फितूर
घर में बरकत है मां की दुआओं से ही सारी

मत पूछ हजाम से कितने बड़े है सर के बाल
तुम्हारे आगे आएगी तुम्हारी समझदारी

दौलत-ओ- रुतबे पर तेल छिड़क कर रख बेचैन
माँ  तो होती है बस अपनी ममता की मारी

Saturday 12 May 2012

क्या दूं तुझको अब पैग का हिसाब मेरी जान

दिमाग खराब हो या तेरी याद सताती हो
बस मैं उसी दिन पीता हूँ शराब मेरी जान

गुस्से में तो बोतल के ही मुह लगा लेता हूँ
क्या दूं तुझको अब पैग का हिसाब मेरी जान

सवालों के घेरे में आ गया हो प्यार जिसका
वो बेचारा क्या देगा बता जवाब मेरी जान

नशे की नही बात पूरे होश में कह रहा हूँ
तेरे लबों आगे कुछ नही गुलाब मेरी जान

तू मुस्कुराकर दे रहा है मुझे जाम पर जाम
बस यही आते है आजकल ख्वाब मेरी जान

इसलिए लगाता हूँ पटियाला पैग अक्सर
बेहद ही तो पसंद है मुझे पंजाब मेरी जान

जिसने कभी ना पी वही बदनामी करता है
वरना नही है बेचैन मय खराब मेरी जान

Friday 11 May 2012

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा

मेरी सांसो से तू निकलकर दिखा
बिन मेरे अ शमा तू पिंघलकर दिखा

ले आया हूँ तुझे इतनी दूर मैं
बिन मेरे दो कदम अब चलकर दिखा

मैं नमी बनकर आँखों में छिप गया
सुर्ख हो जाएगी आँख मलकर दिखा

बिन मेरे लडखडायेगा मयख्वार सा
मैं नही हूँ नशा तो सम्भलकर दिखा

रम चुका हूँ तुम्हारी फितरत में मैं
अपनी आदत से अब तू फिसलकर दिखा

मैं हाथों की रेखाओ में उभर रहा हूँ
तू विधाता का लिखा बदलकर दिखा

आग तू है तो मैं धुंआ हूँ तेरा
बिन मेरे तू बेचैन जलकर दिखा



Tuesday 8 May 2012

तेरा भी हिस्सा है जमाने की खुशियों में


तैश में आने से रंग काला पड़ जाता है
गुस्से से मेरी जान तू किनारा किया कर

पहले ही गर्मी ने परेशानी बढ़ा रखी है
ठंडे दिमाग से थोडा गुज़ारा किया कर

जो बात मेरी तुझको नागवार लगती है
नही कहूँगा थोडा बस इशारा किया कर

यूं भी तेरी जुदाई में कमजोर हो गया हूं
नाराज होकर ना मुझे छुहारा किया कर

भटकते ही कमबख्त दूर निकल जाते है
तू ज़ज्बात मेरे ना यूं आवारा किया कर

कौन सी रोजाना फरमाइस करता हूँ मैं
चाहे हफ्ते में ही भला हमारा किया कर

तेरा भी हिस्सा है जमाने की खुशियों में
बेचैन सोच में शामिल जहाँ सारा किया कर

Sunday 6 May 2012

तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है

मुझको जैसे मेरी वफा ने डूबोया है
तुमको तुम्हारी इक खता ने डूबोया है

हरेक मौज चिल्लाकर गवाही दे रही है
 कश्ती को यारों नाखुदा ने डूबोया है

मरने के बाद भी जिसे जिन्दा रहना था
उस अहसास को तो दगा ने डूबोया है

पत्थर पूजने का हश्र मालूम हुआ जब से
रो रहा हूँ मुझको श्रद्धा ने डूबोया है

बाप पर तो इल्ज़ाम लगा भी दोगे मगर
किस मुह से कहोगे मुझे माँ ने डूबोया है

सच्ची होती तो शायद जी लेता कुछ दिन
मुझे तुम्हारी झूठी अदा ने डूबोया है

घुटनों के बल ही चला था प्यार अभी बेचैन
जिसको तुम्हारे डर की सदा ने डूबोया है

जो कोई चाँद से मुखड़े को धोखा देगा

यकीनन होगा वो शख्स उल्लू का पट्ठा
जो कोई चाँद से मुखड़े को धोखा देगा

एकदम सीधी सी बात है इश्क में यारों
जो दिल नही दे पाया वो और क्या देगा

जियादा दिन नही चलती झूठी अदाकारी
सच आकर एक दिन तो पर्दा गिरा देगा

प्यार में जरूरत नही फालतू मुखबरी की
बातों का अंदाज़ ही सब कुछ बता देगा

अब क्या कहे उसकी होश्यारी बेचैन
ना सोचा था वो ऐसे बात को घुमा देगा

Friday 4 May 2012

दिलो दिमाग पर भारी लुत्फे वस्ल क्यूं है

सोचता हूँ नसीब में इतने बल क्यूं है
जीस्त बेवफा तो बावफा अजल क्यूं है

दिल ने तो बुरा चाहा ही नही किसी का
फिर सीने में किसी खौफ की हलचल क्यूं है

वो शख्स जो मेरा कभी हुआ ही ना था
उसकी याद में मेरी आँखें सजल क्यूं है

आंसू भी तो किसी झील की पैदाइश है
फिर इतना मशहूर दुनिया में कमल क्यूं है

हिज्र से भी तो याराना रहा है बरसों
दिलो दिमाग पर भारी लुत्फे वस्ल क्यूं है

अपनों में शामिल और भी तो है बेचैन
फिर तू ही मेरे सब मसलो का हल क्यूं है

ज़ीस्त= जिंदगी   अजल = मौत 
 लुत्फे वस्ल= मिलन का आनंद

उसके पसीने में भी खुशबू आती है

दोस्तों दौर सचमुच कलयुगी आ गया
मैं मुस्कुराया तो वो गाली सुना गया

बच्चे जवान बूढ़े सब पर शक करते है
हुस्नवालों को भ्रम का कीड़ा खा गया

शरीफों को लल्लू समझती है लडकियाँ
कल रात मुझे मेरा महबूब बता गया

देखा जब बिल्लियों को आपस में लड़ते
सच कहता हूँ मुझे तो चक्कर आ गया

पायजामा तक जिसे न पहनना आता था
पड़ा इश्क में तो कमबख्त जींस फसा गया

उसके पसीने में भी खुशबू आती है
पहचान बस बेचैन इतनी बता गया

Thursday 3 May 2012

उसके सच में भी दोस्तों सफाई नजर आती है

आदमी की हालत जब तमाशाई नजर आती है
उसके सच में भी दोस्तों सफाई नजर आती है

जिसके जो दिल में आये उसी नजर से देखे
गरीब की जोरू सबको लुगाई नजर आती है

सब रसूखदारों से याराना रखने की सजा है
मजबूरी भी यहाँ पर बेवफाई नजर आती है

लोगो के लिए वही तो है असली मजे की जड़
रिश्तेदारों के बीच में जो खाई नजर आती है

माँ बाप की फ़िक्र है यह और कुछ नही यारों
बेटे के शौक में भी जो बुराई नजर आती है

चाँद के पार ले जायेगा तू उसको बेचैन
औकात देखकर तो बातें हवाई नजर आती है



Wednesday 2 May 2012

हर वक्त खुले रहते है क्यूं गेसू तुम्हारे


हर वक्त खुले रहते है क्यूं गेसू तुम्हारे
किसके लहू से धोने की कसम खाई है

बस इतना जान ले मस्त होने से पहले
 जानलेवा मेरी जान तेरी अंगडाई है

जिस अदा से फेरी तुमने जीभ होठों पर
आज सौ फीसदी किसी की शामत आई है

बेशक नसीब-ओ-हालत लाख बिगड़ जाये
हमने तो तेरा होने की कसम खाई है

मत लगाया कर आँखों में सुरमा बेचैन
पहले ही इन आँखों में बहुत गहराई है