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Sunday 5 March 2017

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै

आंगली धनुष के नीचे मेरी जद जद आई सै
अक्सर मर्द बणके हिम्मत मेरी मुस्कुराई सै

मैंने कई समुन्द्र पार कर दिए जोहड़ समझके
परिस्थितियां की काई मैंने जकड़ नही पाई सै

मेरे जद तै समझ आई सै जिंदगी अर दुनिया
उम्मीद मैंने दुसऱ्या तै फेर कम ए लगाई सै

उम्र और तज़ुर्बा नै जो दिया खुश होके लिया सै
कदे ओरां  की उपलब्धि पै नज़र नही गढ़ाई सै

देख लिए इसलिए होऊंगा मैं कामयाब बेचैन
क्योंकि कामयाब होण की मैंने कसम खाई सै



Monday 20 February 2017

जिम्मेवारियों से जी चुराऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे

जिम्मेवारियों से जी चुराऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे
किसी को भी ठेस पहुंचाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे

मन कस्तूरी गन्ध के पीछे कई जन्मों से भाग रहा हूँ
मैं मन्ज़िल से दगा कमाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे

जिंदगी दोबारा न मिलेगी यह समझने के बावजूद भी
अपना हीरे सा जन्म गंवाऊं इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे

अपने सुख की दुआओं में औरों का भी सुख मांगता हूँ
दुःख किसी का कभी बढाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे

कोई भी गलत मायने ना निकाले बेचैन मेरी बेचैनी के
मैं खुलकर सबको समझाऊँ इतनी फुर्सत कहाँ है मुझे