मदद खातिर जिसका मैंने नाम पुकारा था
पहला पत्थर भीड़ से उसी ने मारा था
वो भी शामिल था मेरी हंसी उड़ाने में
जिसका अहसास मेरे जीने का सहारा था
सुलगी है जिसको लेकर चिंगारी नफरत की
लब्ज़ नही है बता दूं वो कितना प्यारा था
जाने किस किस नाम से कर रहा था मुखबरी
मन का जिसके आगे मैंने दर्द उतारा था
शायद दिखावे से था प्यार उसे बेचैन
इसलिए मेरा सादापन बेहद नकारा था
पहला पत्थर भीड़ से उसी ने मारा था
वो भी शामिल था मेरी हंसी उड़ाने में
जिसका अहसास मेरे जीने का सहारा था
सुलगी है जिसको लेकर चिंगारी नफरत की
लब्ज़ नही है बता दूं वो कितना प्यारा था
जाने किस किस नाम से कर रहा था मुखबरी
मन का जिसके आगे मैंने दर्द उतारा था
शायद दिखावे से था प्यार उसे बेचैन
इसलिए मेरा सादापन बेहद नकारा था