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Saturday 29 December 2012

मेरा भी नया साल मनवा दो

दर्द को सकून में बदलवा दो
मेरा भी नया साल मनवा दो

थम थमकर चल रही है साँसे
हो सके तो ढंग से चलवा दो

आते है बुरे ख्याल रोजाना
सर से मेरे होनी टलवा दो

मौत देकर या देकर जिंदगी
बेबसी से बाहर निकलवा दो

उठाकर बेचैन मातम से
मुझे भी हंसी में नहलवा दो






सब कुछ है मगर तेरी कमी रहती है


अब हर वक्त आँखों में नमी रहती है
सब कुछ है मगर तेरी कमी रहती है

मैं कितनी ही गरम आहे भर लूं मगर
फिर भी सांसे जमी की जमी रहती है

गुम अंधेरो में इसलिए न हो पाया
जहन में यादों की रौशनी रहती है

दफन करके चले सब तो मुर्दे ने कहा
अपनेपन की बू जीते जी रहती है

वक्त रहते सुलझा लो वरना ता-उम्र
गलतफहमी तो गलतफहमी रहती है

हंसकर भी रोकर भी हामी भरता हूँ
हाँ दर्द में इन दिनों जिंदगी रहती है

तस्वीरों में दिखती है रौनक मुह पर
मगर नब्ज़ तो बेचैन थमी रहती है