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Friday 23 March 2012

खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का

ना कम हो कभी गुलाबी रंग बहार का
खुदा और बढ़ाए नूर तेरे रुखसार का

पड़ते रहे हमेशा हंसते वक्त डिम्पल
यूं ही जले जी तुझे देखकर गुलज़ार का

हर दुआ के बाद यह दुआ मांगता हूँ
शकून मिले तुझको सारे संसार का

बस इतनी सी है उम्मीद शायरी से
असर हो उसपे किसी भी अशआर का


इश्क ने यही तो सीखाया है बेचैन
दिल देना खेल ही समझो दिलदार का

Thursday 22 March 2012

माता रानी सबको फल दे

माता रानी सबको फल दे
आज नही तो चाहे कल दे

देखकर के खुशियाँ आपकी
गम चुपचाप उठकर चल दे

सौ फीसदी शोहरत मिलेगी
आप चढ़ते सूरज को जल दे

कुछ मत देना जान मुझे पर
रोज कलम को एक गजल दे

माँ मैं बेशक बेचैन रहू
उसके माथे पर ना बल दे

अच्छा नही है इंसान का बाज़ होना

इक शख्स से मुझको बदला लेना है
कोई तो सीखा दे मुझे नाराज होना

रिश्तो पर नजर तो रखे मगर हद में
अच्छा नही है इंसान का बाज़ होना

जमाने की तरह दे दूं धोखा मगर
मैं चाहता ही नही दगाबाज़ होना

सब दौलत के ही बूते की बात है
कौन सी महाभारत है ताज होना 

बता कैसे होगा कल वो सब बेचैन
जो तकदीर में लिखा है आज होना

Tuesday 20 March 2012

मगर मुझे तुम्हारी आँखों में तन्हाई नजर आई

 देखने वालों को झील सी गहराई नजर आई
मगर मुझे तुम्हारी आँखों में तन्हाई नजर आई

चाहकर भी नही लिख पाया अशआर कोई झूठा
वरना कह सकता था आँखे सुरमाई नजर आई

हां बड़े से बड़े दर्द छुपा सकती है पलकों तले
इस मामले में आँखें करिश्माई नजर आई

बुलंदी तेरे हौसलों की मालूम हुई जब से
तुझसे रश्क रखती तुम्हारी असनाई नजर आई

बताओ क्यूं रखेगा दुनिया से वास्ता बेचैन
तेरी आँखों में ही जब उसे खुदाई नजर आई

Monday 19 March 2012

आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है

तुम्हारी जुल्फों के जो तार बंध नही पाते है
मेरे अरमां है वो जो हवा में लहराते है

मैं तो दूर हूँ कर लूँगा किसी तरह से सब्र
उनका क्या जो तुम्हे रोज देख पछताते है

नही दिखता जहाँ में कोई तुम जैसा दूसरा
हमसे हुस्न के रोजाना कारवां टकराते है

मुस्कुराते हुवे आप जिधर से भी गुजर जाते है
आशिक ही नही रास्ते भी शुक्रिया जताते है


इस जन्म में तुझे पाना कोरा ख्वाब है बेचैन
तेरी तस्वीर देख यूं आंसू निकल आते है

Friday 16 March 2012

दिल का फिर रोज हिसाब दूं कितनी दफा



एक ही सवाल का मैं जवाब दूं कितनी दफा
बता जिंदगी तुझे मैं ख्वाब दूं कितनी दफा

जिद छोड़ दे बिन बात परेशान होने की
तुझे खुश रखने को गुलाब दूं कितनी दफा

हो सके तो मेरा बन जा सदा के लिए
तुझको वास्ता-ए-सवाब दूं कितनी दफा

तू जानता है मैं रती भर भी बेईमान नही
दिल का फिर रोज हिसाब दूं कितनी दफा

तू समझदार है चल तू ही बता दे आज
बेचैन आँखों को मैं आब दू कितनी दफा

Thursday 15 March 2012

जिंदगी यूं ही रख आगोश में अपने

मैं जब तलक ना आऊँ होश में अपने
जिंदगी यूं ही रख आगोश में अपने

तूफां में ज्यादा देर ना ठहरने का
कभी मलाल न जुड़े अफ़सोस में अपने

गुफ्तगू का सिलसिला जारी रहे सदा
हरगिज़ ना कमी आये जोश में अपने

तेरी जुस्तजू को जिसकी भी तलाश है
वो सब कुछ पाओगे सरफरोश में अपने

इसलिए रहता हूँ बेचैन हर घड़ी
तुझे रखता हूँ दिल की खरोस में अपने

 

Tuesday 13 March 2012

लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस

वो मुरीद है मेरा मेरे हुनर के बाईस
लोग शैदा होते है वरना जर के बाईस

कबका भूल गया होता घर गाँव का लेकिन
इक पहचान बाकि है सूखे शजर के बाईस

मैं सह नही सकता नशा नींद का लेकिन
रातों जाग सकता हूँ बज्मे सुखनवर के बाईस

कनखियों से घूरकर मुझे क्या देखा तुमने
दिल हो गया बिस्मिल तेगे नजर के बाईस

जर्फ़ वालों की कसौटी से निकला है जुमला
इश्क रोशन है यारों सितमगर के बाईस

बाप होने का हक अदा यूं किया उसने
हो गया नीलाम लख्ते-जिगर के बाईस

आवारगी ने तो कोई कमी न छोड़ी मगर
न हो सका आवारा बेचैन घर  के बाईस

मुरीद=प्रसंशक, बाईस = कारण, शैदा- आशिक ,,जर=धन ,,,शजर- पेड़,,..बज्मे सुखनवर= कवि सम्मेलन ,,,,बिस्मिल= घायल ...तेगे नजर=निगाहों की तलवार....जर्फ़=श्रेष्ठ ....कसोटी=अनुभव ...लख्ते जिगर= दिल का टुकडा























Monday 12 March 2012

तुम परी हो अंधा भी पहचान लेगा

मैं क्या छोटा बच्चा भी मान लेगा
तुम परी हो अंधा भी पहचान लेगा

सजधज कर कभी बाहर ना निकलना
वरना गाँव पटाने की ठान लेगा

मेरी हंसी पर भी शक जताता है
ज़ालिम तू कितने इंतिहान लेगा

तुझे खुदा से भी बड़ा बना दूंगा 
ज़माना मेरा जब भी बयान लेगा

बस यूं ही बेचैन होकर पूछ रहा हूँ
क्या प्यार में तू मेरी जान लेगा


Sunday 11 March 2012

बोलो ॐ जय मह्बूबाये





ॐ जय महबूबाये,बोलो ॐ जय मह्बूबाये
प्यार करे जो भी तुझसे, उसपे ना कष्ट आये.......ॐ जय.........

जो ध्यावे तुझे दिल से,उसको प्यार मिले...जानू उसको प्यार मिले...
सोचते ही तुम हो प्रकट ना इंतजार मिले ......ॐ जय.........

सब रिश्तों से बढ़कर तुझे आशिक माने...जानू तुझे आशिक माने
हाय दर दर तुझको ढूंढे तेरे ये दीवाने .......ॐ जय........

तुम हो दिल की धडकन.तुम सांसों में बहते ,,,जानू तुम सांसो में बहते
तुम बिन और ना दूजा मेरे आंसू कहते .......ॐ जय........

तुमको पाकर मैं हंसता तुम्हे खोकर रोऊ,,,जानू तुम्हे खोकर रोऊ,,,
तेरे ही सपनों ने घेरा है जब जब मैं सोऊ.......ॐ जय........

तुम लैला जूलियट और तुम हो हीर मेरी ..जानू तुम हो हीर मेरी...
तुम चाहोगी वही होगा कहे तकदीर मेरी .......ॐ जय........

श्रद्धा भक्ति बनी रहे तेरे प्रति मेरी ..जानू तेरे प्रति मेरी....
सारे भाड़ में जाए रहे ठंडी नजर तेरी .......ॐ जय........

जो महबूबा की आरती सुबहा शाम गाये .,,.यारों सुबह शाम गाये
बेचैन जुदाई की नागिन उसे ना डस पाए .......ॐ जय........




निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा
मत ले मेरे और इंतिहान बेटा

रूबरू नही ख्वाब में ही मिला कर
तू मेरा कोई तो कहा मान बेटा

देख कही हाथ में ही ना आ जाये
मेरे मत खींच इतने कान बेटा

देकर दर्दे दिल जोर से हंसता है
मत बनो इतना भी शैतान बेटा

बता मैं तुझे छोड़कर कहाँ जाऊंगा
तू है मेरा धरती आसमान बेटा

तुम पर लिख दी गजल बेचैन होकर
बता अब कोई अच्छा सा उन्वान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा

निकल जाएगी बच्चे की जान बेटा
मत ले मेरे और इंतिहान बेटा

रूबरू नही ख्वाब में ही मिला कर
तू मेरा कोई तो कहा मान बेटा

देख कही हाथ में ही ना आ जाये
मेरे मत खींच इतने कान बेटा

देकर दर्दे दिल जोर से हंसता है
मत बनो इतना भी शैतान बेटा

बता मैं तुझे छोड़कर कहाँ जाऊंगा
तू है मेरा धरती आसमान बेटा

तुम पर लिख दी गजल बेचैन होकर
बता अब कोई अच्छा सा उन्वान बेटा

Saturday 10 March 2012

गर तेरी आँख का इशारा हो जाए

गर तेरी आँख का इशारा हो जाए
इस गरीब का भी गुज़ारा हो जाए

ना करूं जिस पल तेरा शुक्रिया जिंदगी
मेरा सांसों से ही किनारा हो जाए

आजमाकर तो देख यह जादू भी होगा
बस सोचते ही कोई तुम्हारा हो जाए

नदियाँ गर अपनी जिद पर उतर आयें
क्या मजाल समन्दर खारा हो जाये

वो चाहेगा तो हो सकता है बेचैन
तू भी उसे सबसे प्यारा हो जाए

Thursday 8 March 2012

अबके होली पर वो इक काम कर लीजिये

यारों के जो यार है इश्क के बीमार है
अबके होली पर वो इक काम कर लीजिये

पास है महबूब जिनके प्यार से वो चूमे माथा
दूर है तो फोन पर सलाम कर लीजिये

बीवी प्यार देगी नई बनके दुल्हनिया
उसके लिए एटीम नीलाम कर लीजिये

कभी कभी पीने का शौक जिस साहब को
उसे फाग वाले दिन खुलेआम कर लीजिये

तुम रहोगे बेचैन कोई चर्चा तक ना होगी
खुद को थोड़ा थोडा बदनाम कर लीजिये

बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तलाश रहा हूँ सुबह से अल्फाज़ जिंदगी
बता तो क्या बोलू तुझे मैं आज जिंदगी

तेरी कसम बहुत रोता फाग के दिन मैं
बात नही करती गर तू आज जिंदगी

मुझे किस्मत बेशक शहनशा ना बनाये
मगर तुझे बोलता हूँ मुमताज़ ज़िदगी

हाँ पहले भी साँस के साथ बोला है
लव यूं फिर से बोलता हूँ आज जिंदगी

जो तुझे सुहाएगा वो गीत गाऊंगा
तू बजा कर देख कोई भी साज जिंदगी

तेरे रुठते ही बेचैन हो जाता हूँ
मुझपे गिरती है जोर से गाज जिंदगी

Friday 2 March 2012

तू जियादा दिन तडफायेगा मुझे विश्वास नही होता

तू मेरे बिना रह पायेगा मुझे विश्वास नही होता
कभी लौटकर नही आएगा मुझे विश्वास नही होता

पहला वादा तुम्हारा ही था सदा साथ रहने का
तू वादे से डगमगाएगा मुझे विश्वास नही होता

बात बात पर खुश रहने की सलाह देने वाले
तू जियादा दिन तडफायेगा मुझे विश्वास नही होता

मैं बच्चे की तरह रो रहा हूँ तुम्हारी जिद करके
तू आकर नही समझाएगा मुझे विश्वास नही होता

खुदा से भी बढ़कर जिसे मैंने चाहा है बेचैन
मेरा विश्वास तोड़ जाएगा मुझे विश्वास नही होता


बता क्यूं मेरा प्यार तुझे बेदम नजर आया

समन्दर और आसमान भी कम नजर आया
बता क्यूं मेरा प्यार तुझे बेदम नजर आया

क्या ख़ाक करू सोचा विचारी लेकर तुझको
तेरी हर बात में मुझको भरम नजर आया

मैं तो आशिक था दीवानगी कैसे छोड़ता
वही किया जो मुझे मेरा करम नजर आया

जिस सलीके से ले गया मुझे मौत के करीब
बुरा मत मानना तू मानव बम नजर आया

यही जान पाया तुझसे प्यार करके बेचैन
जुल्फों के साथ सोच मे भी खम नजर आया

Thursday 1 March 2012

जब पंजाबी की एक महान लेखिका की कविता को पढ़ा तो मेरे भीतर का दर्द भी यूं बोल उठा,,,,,

,,,

मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,,
मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा
शायद तेरे स्वभाव की चिढ बनके,,
तेरे सामने आऊंगा,,
या एक अनजाना सा रहस्मय सूनापन बनके
हर वक्त तेरे साथ रहूँगा और तुझे तकता रहूँगा,,
तुझे लगेगा भी की मैं हूँ मगर दिखाई नही दूंगा,,,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या सूरज की रौशनी बनके ,,
चाँद की चांदनी बनके तेरे आंगन में उतरूंगा
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
या तेरा बेटा बनके तेरे कलेजे की ठंडक के रूप में
जब जब अपने बेटे को प्यार करोगी
उसकी खिलखिलाहट और रोने में अपना अक्स लेकर
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं और कुछ नही जानता
मगर इतना जानता हूँ वक्त जो भी करेगा
मेरा ये जन्म तुम्हारे साथ चलेगा,,,,,
मेरा जिस्म खत्म होता है तो सौ बार हो जाए,,,
मगर अहसास की गर्मी बनकर सदा तुम्हारी आहों में बसूँगा,,
जब भी तन्हा बैठोगी अश्क बनकर
 तुम्हारी आंख में झाँकने लगूंगा,,
जब भी हंसोगी,,,,मेरी बेबसी तुम्हारे सामने आ जायेगी,,,
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................
मैं तुझे  फिर मिलूंगा ,कहाँ किस तरह मालूम नही,,
,मगर मैं तुझे फिर मिलूंगा.................



अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है

मन की बातों को मन के भीतर ही मारना है
अब तो यादों के ही सहारे जीवन गुजारना है

तू लौटकर आये ना आये सब तुम्हारी मर्जी
मुझे तो हर हाल में तुम्हारा नाम पुकारना है

जुबा पर खरा उतरूंगा मौका लगने दे
जान देकर ही सही तुम्हारा कर्ज़ उतारना है

तुम रोज खूबसुरती पर बेशक देना तवज्जो
जुदाई में मुझको तो अपना दर्द निखारना है

तू मिल जाता तो कौन सी मौत जीत लेता
जिंदगी से तो बेचैन हर हाल में हारना है

बोल किस रोज लोगों से मिलाया तुझको

धडकनों में सांसों में बसाया तुझको
बोल किस रोज लोगों से मिलाया तुझको

मेरी रग रग में लहू बनके तू बहता है
सच बता पसीने सा कब बहाया तुझको

बस जमाने ने उसे आंसुओ का नाम दिया
जब जुगनू सा पलकों पर सजाया तुझको

दिल में बीवी का दखल जब बढने लगा
मैंने दाढ़ी के बियाबा में छिपाया तुझको

जब भी बेचैन गया शिवालों में कही
हाय अल्लाह की सुरत में पाया तुझको

पुस्तैनी जमीन सी तू निकल आई हिस्से में

पुस्तैनी जमीन सी तू निकल आई हिस्से में
बता नसीब पर नही इतराऊं तो क्या करूं

सम्भाले नही जाती तेरे पाने की ख़ुशी
मैं पागलों सा नही चिल्लाऊ तो क्या करूं

बांधा अल्फाज़ में तो कद अहसान का छोटा होगा
जाकर मन्दिर में न आंसू बहाऊँ  तो क्या करूं

तेरी जुल्फों के साए में गुजरेगी जिंदगी
सोच कर ख्याली पुलाव न पकाऊँ तो क्या करूं

तू कर गया है वादा ख्वाबों में मिलने का
खर्राटे दिन में बेचैन न लगाऊँ तो क्या करूं

चश्मे के तले आज से तेरा घर बना दिया

अब देखता हूँ लोगों की नजर कैसे पड़ेगी
चश्मे के तले आज से तेरा घर बना दिया

मुझको तो होश नही तू ही बता सच क्या है
कहते है लोग तुने मेरा बन्दर बना दिया

दिल और चेहरे से तुझे देकर विदा महबूब
तेरा पक्का ठिकाना रूह के अंदर बना दिया

तेरी हंसी सुनकर दिल में बैठा बच्चा बोल पड़ा
शुक्रिया तुमको मुझको मस्त कलंदर बना दिया

नदी तो शुरुआत से ही मीठी थी बेचैन
शक ने ही प्यार को खारा समन्दर बना दिया
मैं ही जानता हूँ जो तुझमे मिठास है
चाकलेट तो तेरे आगे बकवास है

मैं इससे बढ़कर तारीफ क्या करूं
तेरा प्यार ही मेरा आत्म विश्वास है

तुम अगर हंसकर लिपट जाओ इक दफा
समझूंगा मेरी बाँहों में आकाश है

कई बार बोला है आज फिर बोलता हूँ
तू मेरे जन्मों जन्मों की तलाश है

रति भर भी झूठ हो तो मर जाऊं बेचैन
बता तुझसे बढ़कर मेरा कौन ख़ास है

ना महोब्बत में तू इतनी हुश्यारी शुरू कर


हर हाल के बाद जीत की तैयारी शुरू कर
ज़हन में कामयाबी की मारामारी शुरू कर

रोटियां वो भी खाता है मत भूलना कभी
ना महोब्बत में तू इतनी हुश्यारी शुरू कर

हाथ पर हाथ रखकर बैठने से क्या मिलेगा
कमी ढूंढ़कर अपनी दूसरी पारी शुरू कर

उसने कह तो दिया मैं तुम्हारे साथ हूँ सदा
बंद अब फालतू की सोचा विचारी शुरू कर

मजदूर का बेटा आज बन गया है अफसर
तुझको काम है तो बहाल रिश्तेदारी शुरू कर

औकात नापनी है तो मेरे ज़ज्बात की नाप
लिबास देखकर ना कोई कलाकारी शुरू कर

उठ गया है माँ बाप का साया अब बेचैन
बचपना छोड़ आज से समझदारी शुरू कर

मेरा नाम लेके चिल्लाओगे तो लौट आऊंगा

मुझको तुम खुद लेने आओगे तो लौट आऊंगा
मेरा नाम लेके चिल्लाओगे  तो लौट आऊंगा

बंद है आज से प्यार की तमाम सौदेबाजी
पुराना उधार चुकाओगे  तो लौट आऊंगा

नही चाहिए मुझको तुम्हारी झूठी हमदर्दी
हंस हंसकर सितम ढहाओगे तो लौट आऊंगा 

नही जानना लोगों की राय  मेरे बारे में
]दास्ताने तडफ सुनाओगे  तो लौट आऊंगा

भरोसा तो तुम पर इतना करता है बेचैन
कसमे झूठी भी खाओगे  तो लौट आऊंगा

लौट कर जिंदगानी में आने का शुक्रिया


मखमली अहसास लौटाने का शुक्रिया
लौट कर जिंदगानी में आने का शुक्रिया

भटक सा गया था ख्यालात के जंगल में
हाथ पकड़कर राह दिखाने का शुक्रिया

मैं दोजख में पड़ा कब से रो रहा था
लेकर मुझे जन्नत में जाने का शुक्रिया

इस बहाने दर्दे इश्क का पता चल गया
मुझ पर हंसकर सितम ढाने का शुक्रिया

अब तक नाम से था तुने रूह से कर दिया
मुझे सच में बेचैन बनाने का शुक्रिया

वजूद को गिरवी रखकर पाया है तुझे

वजूद को गिरवी रखकर पाया है तुझे
इसीलिए राजदार बनाया है तुझे         

मैं बिछड़ते ही तुमसे दम तोड़ दूंगा
कितनी ही दफा तो समझाया है तुझे

अंजाम-ए-इश्क खूब सोचने के बाद
धडकन-ओ- सांसों में बसाया है तुझे

कहकर तो देख सब बदल डालूँगा मैं
कौन सा अंदाज़ ना पसंद आया है तुझे

तेरे ही सकूं की दुआओं के असर ने
यकीनन बेचैन से मिलवाया है तुझे

गर वो सामने आ गया क्या हाथ पकड़कर चल दोगे

बिन वजूद के ख्वाबों को आँखों से कब तक जल दोगे
गर वो सामने आ गया क्या हाथ पकड़कर चल दोगे

तुम सदा मुस्कुराते रहे हो औरों की ख़ुशी के लिए
कहो किस रोज जिंदगी मे खुद को प्यार के पल दोगे

तन्हाइयों की नागिन तुमको कभी नही डस पायेगी
तड़फ के उस मौके पर गर खुद को मेरी गजल दोगे

यह सोचकर तुम पर अपना आज लुटाया है बेचैन
देर सवेर महोब्बत का तुम जरुर मुझको फल दोगे

तुम भी तो रखों मुझे गले का ताबीज बनाकर

मैं रखता हूँ तुझको जैसे जान अजीज बनाकर 
तुम भी तो रखों मुझे गले का ताबीज बनाकर                                                                         

कयामत तो खुदा ने उसी दिन ही कर डाली थी
तुझे भेजा था जमी पर जब ख़ास चीज़ बनाकर

सच में चारागर मैं भी ठीक होना नही चाहता
मुझको तुम रखना हमेशा अपना मरीज़ बनाकर

जमाने भर की तरफ से तुम्हारा शुक्रिया अंग्रेजों
हर मसले का हल दिया तुमने हर्फे प्लीज़ बनाकर

इसलिए नही डालता मुझ पर कोई डोरे बेचैन
मैं रखता हूँ खुद को हमेशा बदतमीज़ बनाकर

ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है

कभी मजबूरियों ने घेरा तो कुछ कह नही सकता
वरना तो तुम्हारे बिन मैं जिंदा रह नही सकता

रखी है मैंने भरोसे की इंटों पर बुनियाद
मेरी महोब्बत का किला शक से ढह नही सकता

ठहरा हुआ पानी हूँ खुद सोचो क्या करना है
अपनी मर्जी से मैं किसी और बह नही सकता

वो तो तुम्ही हो जिसकी बेरुखी भी झेल रहा हूँ
वरना कांटे की चुभन तक मैं सह नही सकता

समर पिछले जन्म का है या अगले जन्म की तैयारी
जा बेचैन के बिना तू भी चैन से रह नही सकता

कल से तुम्हारी तरह फज़ुली बात करूंगा

कसम खाता हूँ ना संजीदा ज़ज्बात करूंगा
कल से तुम्हारी तरह फज़ुली बात करूंगा

बिना मिले ही इतनी तकलीफ दे रही हो
बता किसलिए मैं तुमसे मुलाकात करूंगा

जब मालूम हो गया मेरा देवता पत्थर है
किसलिए माथा रगड़कर मुनाजात करूंगा

इस जन्म का तो कोटा पूरा हो गया बेचैन
अब तो अगले जन्म प्यार के ख्यालात करूंगा

तेरी ज़ुल्फ़ मेरे हालात उलझे है


जुदाई और मौत दोनों है सामने
कसमकस में हूँ गले लगाऊं किसको

तुमने ही रोका है जिक्र करने से
अब हाल-ए दिल जाकर बताऊ किसको

तेरी ज़ुल्फ़ मेरे हालात उलझे है
सोचता हूँ पहले सुलझाऊं किसको

मेरी अकेले की नही है गलतियाँ
परेशान हूँ हकीकत समझाऊं किसको

प्यार में उसे तो मिल गया तू बेचैन
उसकी तरह मैं भी तडफाऊं किसको

हर कोई चाहता है करना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

हर कोई चाहता है करना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी
तुम दीखते ही नही वरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

यहाँ अच्छे खासे लोगों की तूने बैंड बजा डाली है
बुजदिल भी सीख गये मरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

हाय दुनियादारी और उम्र के सभी तकाजे छोड़कर
अब रोज पड़ता है संवरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

सचमुच हाथ जोड़कर कहता हूँ,बोलो तो पैर पकड़ लूं
मैं तो चाहता हूँ सुधरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

नही मर्दों वाली बातें आंसूं बात-बात पर बहते है
बन गई बेचैन आँखे झरना इश्क तुम्हारी ऐसी तैसी

तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ



बता कैसे रहूँगा मैं होश के साथ
तू बिछड़ा है इक अफ़सोस के साथ

गम ना कर बाद तेरे तन्हा नही हूँ
मैं रहूँगा दिल की खरोश के साथ

बीच सफर में तुझको लौटना था गर
फिर क्यूं चला था साथ जोश के साथ

क्या पता सर करके कलम दे देता
कुछ दिन तो निभाता सरफरोश के साथ

बता कैसे भूलेगा उम्र भर बेचैन
तू खूब खेला दिल खरगोश के साथ

यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है

पहुँच कर हिज्र में सांसे यक-ब-यक डट गई है
यकीन है तो कर लो तुम बिन उम्र घट गई है

इंतिहा दर्द की मैं तुमको बता नही सकता
तुम्हे सोच सोच कर कैसे छाती फट गई है

हर सू दिखाई देता है तेरे बिछड़ने का गम
जब से वस्ल वाली मेरी खुशियाँ सिमट गई है

दो घड़ी तुझसे निगाह क्या मिलाई जादूगर 
दुनिया की हर शै से अपनी नजर हट गई है

चाहे रोना ही आया हो हिस्से में बेचैन
तुझे मानना पड़ेगा तेरी किस्मत पलट गई है