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Monday 26 December 2011

माफ़ कर देना मुझको मेरी बेबसी के लिए

आज के बाद नही रोऊंगा किसी के लिए
रखूंगा अश्को को बचाकर ख़ुशी के लिए

चाहे हालात कभी खुदखुशी के बन जाये
मुस्कुराता रहूँगा उसकी दोस्ती के लिए

अपने कमरे के शिवाले से बुत हटा दूंगा
उसकी तस्वीर को रखूंगा बन्दगी के लिए

खुदा हाफ़िज़ सलाम तुमको आखरी मेरा
अब ना आऊंगा लौटकर मैं आशिकी के लिए

तुझमे हिम्मत है गर सच में मुझे भुलाने की
मैं भी भूलूंगा तुमको सारी जिंदगी के लिए

बोल अ शमा खुदा तुम्हारा भला कैसे करे
तुमने अँधेरे को है तडफाया रौशनी के लिए

तुमको परेशान किया बेचैन मैं शर्मिंदा हूँ
माफ़ कर देना मुझको मेरी बेबसी के लिए