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Friday 5 August 2011

सफर की शुरुआत ही क्यू होती है



घर की मुर्गी दाल बराबर होती है
बात में कितने तौला  मोती है
सोच समझ कर बताओ यारो
उमर ख़ुशी की किसलिए छोटी है
ता-उमर चलके भी दो गज जमी
सफर की शुरुआत ही क्यू होती है
उसकी यादें ना हुई गजब हो गया
आते ही मन का चैन क्यू खोती है
हजारों रिश्तो के आगे भी बेचैन
माँ किसलिए नम्बर वन होती है

उम्र भर का दे जाते है इंतजार कुछ लोग


क्यूं होते है इस कदर होशियार कुछ लोग
समझ लेते है दूसरो को बेकार कुछ लोग
कामयाबी सबका जन्मसिद्ध अधिकार है
क्यूं नही करते है सोच विचार कुछ लोग
जब देखो फूलों से दिल लगाते फिरते है
क्यूं नही चाहते उल्फत खार से कुछ लोग
मैंने देखा है औरों पर तंज़ कसने वालों को
नही करते है खुद को शर्मसार कुछ लोग
खाकर झूठी-सच्ची कसमे इश्क में अक्सर
उम्र भर का दे जाते है इंतजार कुछ लोग
जिनका मजबूरी में बोझ उठाना पड़ता है
किसलिए होते है रिश्तों पर भार कुछ लोग
नही समझ पाया हूँ मैं आज तक बेचैन
क्यूं करते है मतलब से व्यवहार कुछ लोग