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Wednesday 7 November 2012

आह कलेजे से निकली हाय हाय हाय

नहा धोकर जब उसने बाल बिखराए
आह कलेजे से निकली हाय हाय हाय

सांसो में बर्फ सी जम गई आँखों के रस्ते
मुझे देखकर उसने  जब होठ दबाए

जिस्म के पुर्जे पुर्जे में हथियार छिपे थे
उफ़ कत्ल खुद का क्यूं नही करवा पाए

नजर उतनी ही गहरी धंसती गई मन में
मेरी ओर देखकर वो जितना मुस्कुराए

यकीन हो ही गया आज सचमुच बेचैन
दिल झूठ से लगाकर हम बहुत पछताए