वक्त के मारों ने तजुर्बे से बताया है
हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है
दोस्ती ही सम्भालती है बढ़कर आगे
खून के रिश्तों ने जब भी रंग दिखाया है
किसी के भी बस का नही होता जो इंसा
आखिरकार औलाद के काबू आया है
कामयाबी उससे सख्त नफरत करती है
अपने माँ बाप का जिसने दिल दुखाया है
मातम मनाकर अपनी बेबसी का पहले
गरीब ने बेटी का जब ब्याह रचाया है
आटे दाल का भाव तो उससे पूछिये
अपने बूते पर जिसने घर बसाया है
इश्क और-सियासत है उनकी बेचैन
चेहरे पर जिसने चेहरा चढाया है
हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है
दोस्ती ही सम्भालती है बढ़कर आगे
खून के रिश्तों ने जब भी रंग दिखाया है
किसी के भी बस का नही होता जो इंसा
आखिरकार औलाद के काबू आया है
कामयाबी उससे सख्त नफरत करती है
अपने माँ बाप का जिसने दिल दुखाया है
मातम मनाकर अपनी बेबसी का पहले
गरीब ने बेटी का जब ब्याह रचाया है
आटे दाल का भाव तो उससे पूछिये
अपने बूते पर जिसने घर बसाया है
इश्क और-सियासत है उनकी बेचैन
चेहरे पर जिसने चेहरा चढाया है