"आज तुमको गुलाब देता है "
इक महकता ख्वाब देता हूँ
लो देख लो अपना चेहरा
मैं आँखे पुर आब देता हूँ
मुझे हिज्र कहते वस्ल धारी
जब हालत इज़्तिराब देता हूँ
हंसी है जब मुझे देख तन्हाई
बदले में उसको शराब देता हूँ
ना बुरा मानिएगा आदत का
मैं तो यूं ही जवाब देता हूँ
मेरी बुढ़ी भी पठा कहती है
जब बालों में हिजाब देता हूँ
बेचैन समझ माफ़ कर देना
गर मैं गजले खराब देता हूँ