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Wednesday 7 September 2011

कईयों के लिए तो वनवास है रिश्तेदार


हर शख्स के गले की फांस है रिश्तेदार
बताओ किस किसके खास है रिश्तेदार
मैंने तो आज तक यही देखा है दोस्तों
गरीब आदमियों की आस है रिश्तेदार
नापते है कमबख्त औकात रिश्तों की
बारीकी से देखों बकवास है रिश्तेदार
उम्मीद के जंगले में भटकते है बेचारे
कईयों के लिए तो वनवास है रिश्तेदार
पीढ़ियों के राज सीने में दफन है बेचैन
अपनी पर आये तो राजफास है रिश्तेदार

चिल्ला उठी गरीबों की महोब्बत




सादा सा जिंदगी का राज होता है
फितरत का अक्स मिजाज होता है
कितने ही लगा लो चेहरे पर चेहरे
व्यवहार में छिपा अंदाज़ होता है
चिल्ला उठी गरीबों की महोब्बत
इंटों से बना भी कोई ताज होता है
किसका वास्ता देके समझा रहे हो
बड़ा ही ज़ालिम ये समाज होता है
स्कुल-ए-इश्क में दाखिलाधारी सुनो
हर वक्त हंसता चेहरा दगाबाज़ होता है
सही पेश आती है कई हुश्न की बलाएँ
मनचलों का लुटकर ही इलाज होता है
रुतबे के नाम पर बदतमीज़ ना बनो
आखिर छोटे बड़े का लिहाज़ होता है
बता किसको बेचैन नही करती ये फौज
आदमी नाहक रिश्तों से नाराज़ होता है