जंगल में सीधे पेड़ पहले काटे जाते है
लोग शरीफजादों को इसलिए सताते है
मैंने छुपकर सुनी है अमीरों की बातचीत
वो मुफलिसों को आदमी थोड़े बताते है
तू परदेश में कमाने मत भेज तकदीर
अभी तक मेरे नौनिहाल बहुत तुतलाते है
जड़ों की मिट्टी को ठुकराकर कुछ नही बचेगा
यारों बियाबा के पेड़ रोज़ ही बतियाते है
बस होशमंदों को थोडा होश रहे बेचैन
शराबी नशे में महज़ इसलिए बुदबुदाते है
लोग शरीफजादों को इसलिए सताते है
मैंने छुपकर सुनी है अमीरों की बातचीत
वो मुफलिसों को आदमी थोड़े बताते है
तू परदेश में कमाने मत भेज तकदीर
अभी तक मेरे नौनिहाल बहुत तुतलाते है
जड़ों की मिट्टी को ठुकराकर कुछ नही बचेगा
यारों बियाबा के पेड़ रोज़ ही बतियाते है
बस होशमंदों को थोडा होश रहे बेचैन
शराबी नशे में महज़ इसलिए बुदबुदाते है