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Saturday 17 September 2011

कौन जख्मी ख्यालात करेगा

खुदा जब करामात करेगा
फैंसले हाथों हाथ करेगा
मतलबियों के मोहल्ले में 
कौन गहरे ज़ज्बात करेगा
वो नेता जी है आदमी नही
क्यूं भूखों का साथ करेगा
फिर खोली है जुल्फें उसने
फिर वो दिन को रात करेगा
शादी शुदा से दिल लगाकर
कौन जख्मी ख्यालात करेगा
बड़े से बड़ा चोर भी बेचैन
घर से ही शुरुआत करेगा