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Tuesday 31 July 2012

आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

मन तो अपना कबका उड़ चुका बाकि
उसका अहसास है की छोड़ नही रहा

बकाया है इश्क की आखरी रिवायत
वो पूरी तरह से दिल तोड़ नही रहा

सोच क्या है किसी हद तक गिर सकती है
विचारो का आज कोई निचोड़ नही रहा

गुज़रा है ऐसी संकरी गलियों से जहन
जिंदगानी में अब ढंग का मोड़ नही रहा

तैयार है जवाब हर किसी का बेचैन
आज कोई भी रिश्ता बेजोड़ नही रहा

Monday 30 July 2012

उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

कुछ इस तरह से खुद को गुनेहगार कर रहा हूँ
उसूलो के खिलाफ जाकर प्यार कर रहा हूँ

मालूम है तेरा जिंदगी में आना नही मुमकिन
मैं फिर भी भरी आँखों से इंतजार कर रहा हूँ

सजाकर ख्वाबो ख्यालो की रोजाना एक दुनिया
मैं रूह को कभी जमीर को शर्मसार कर रहा हूँ

जफा-ओ-वफा जो देनी है सोच समझकर देना
मैं हद से जियादा तुझ पर एतबार कर रहा हूँ

तू महसूस कर सके तो कभी कर आकर बेचैन
मैं दर्द को आहों से हर पल गुलज़ार कर रहा हूँ

Saturday 28 July 2012

आशिक तो दोस्तों हर हाल में पछताता है

वो प्यार के मसले पर जब भी बतियाता है
मुझे मेरे सवालों के साथ छोड़ जाता है

समझ नही पाया उसका अंदाज़े महोब्बत
खुद ही दर्द देकर खुद ही मरहम लगाता है

अहसास के मुसाफिर बाखूबी जानते है
कौन किसको जबरदस्ती खींचकरलाता है

हुआ बेबसी के हवाले तो इल्म हुआ भारी
आशिक तो दोस्तों हर हाल में पछताता है

अफ़सोस के दायरे में भी वही रहता है
जो रिश्तों पर ज्यादा उंगलिया उठाता है

मुझे गुस्सा भी अक्सर इसीलिए आता है
वो बात को गेंद सा गोल-गोल-घुमाता है

उसकी जुल्फें मेरे ज़ज्बात उलझे है
देखते है वक्त पहले किसको सुलझाता है

उतर तो जाता हूँ रोज यादों की नदी में
जबकि मुझे बेचैन तैरना नही आता है



Friday 27 July 2012

हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

मेरे दिल के थाने की थानेदार हो तुम
अब कितनी दफा समझाऊ मेरा प्यार हो तुम

जिद छोड़ भी दे बिना बात नाराज होने की
मेरी सबसे बड़ी जीत और हार हो तुम

मैं अक्स हूँ तुम्हारा कोई आशिक नही हूँ
कहो किस बात पर फिर इतना शर्मसार हो तुम

वक्त और किस्मत ने चाहा तो मिल जायेगे
वरना जन्म भर का मेरा इंतजार हो तुम

तुम ही लहू बनकर दौड़ रही हो रगों में
हां सांसो की सबसे पहली हकदार हो तुम

तेरी तस्वीर देख कर ही खिल उठता हूँ
सचमुच मेरे लिए मौसमे बहार हो तुम

नही है कोई तुझसा जमाने में बेचैन
बस अहसास में इसलिए गिरफ्तार हो तुम

Tuesday 24 July 2012

हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है

वक्त के मारों ने तजुर्बे से बताया है
हमने अनाज कम फरेब ज्यादा खाया है

दोस्ती ही सम्भालती है बढ़कर आगे
खून के रिश्तों ने जब भी रंग दिखाया है

किसी के भी बस का नही होता जो इंसा
आखिरकार औलाद के काबू आया है

कामयाबी उससे सख्त नफरत करती है
अपने माँ बाप का जिसने दिल दुखाया है

मातम मनाकर अपनी बेबसी का पहले
गरीब ने बेटी का जब ब्याह रचाया है

आटे दाल का भाव तो उससे पूछिये
अपने बूते पर जिसने घर बसाया है

इश्क और-सियासत है उनकी बेचैन
चेहरे पर जिसने चेहरा चढाया है

Sunday 22 July 2012

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो

एक काम की बात चलो सबको बताते है
दुश्मन होते नही है हम खुद ही बनाते है

खुद जैसा समझ लेते है सामने वाले को
बस सबसे बड़ी भूल हम यही कर जाते है

अक्सर रिश्तों से वही लोग मार खाते है
अपने शक को जो ओढ़ते और बिछाते है

कमबख्त वही बन जाते है नासूर दिल के
रो रोकर जिस पर भी अपना हक जताते है

इक शक्स तो बताओ जिसे चैन हो यारो
लोग बेकार ही मुझको  बेचैन बताते है

Saturday 21 July 2012

अव्वल दर्जे की कलाकारी उसी में है

जमाने भर की समझदारी उसी में है
हमीं गद्दार है वफादारी उसी में है

यारों हम तो प्यार का नाटक कर रहे है
जैसे की संजीदगी सारी उसी में है

इश्क ने हमें तो जैसे अफसर बना दिया
मजबूरिया और लाचारी उसी में है

अपना तो जमीर शर्मिंदा है इक मुद्दत से
जैसे गैरत और खुद्दारी उसी में है

हम तो फिसड्डी है हरेक काम में बेचैन
अव्वल दर्जे की कलाकारी उसी में है

वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है

दिन भर ख्यालो में रात ख्वाब में दिखता है
पढने बैठता हूँ तो किताब में दिखता है

जब भी जाता हूँ टहलने गुलशन में यारो
नामुराद का चेहरा गुलाब में दिखता है

गम गलत करने को क्या ख़ाक जाऊ मयखाने
वो कमबख्त मुझको अब शराब में दिखता है

मुझे देख रहे है घूरकर इसीलिए लोग
वो शायद मेरी हालत खराब में दिखता है

आइना तू क्या बतायेगा राज की बात
यह सच है वो चश्मे- पुरआब में दिखता है

मैं या मेरा भगवान ही जानता है सब
वो कैसे ज़हन के इन्कलाब में दिखता है 

मैं हरेक बात का जिक्र अब क्या करू बेचैन
वो आहों के इक इक हिसाब में दिखता है

चश्मे- पुरआब=आंसूओ से भरी आँखे



Friday 20 July 2012

तेरी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है

दर्द है आंसू है बेबसी है
बेहद मजे में जिंदगी है

कहने को तो पास है सबकुछ
इक बस तुम्हारी ही कमी है

मेरे हालात पर ना जाना
तेरी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है

तक रहा था तस्वीर तुम्हारी
इसलिए आँखों में नमी है

हो सके तो कर यकीं बेचैन
ये दिल्लगी नही दिल की लगी है

Thursday 19 July 2012

क्यूं रोया मैं तेरे वास्ते ज़हन निचोड़ के

तुमने अच्छा नही किया मुझसे मुख मोड़ के
मैं रख रहा हूँ अपने ही दिल को तोड़ के

ढूंढें नही मिलूंगा तुझे आज के मैं बाद
गुमनामियों में जा रहा हूँ यादें ओढ़ के

सब मेरी ही भूल थी हां सब मेरा कसूर था
क्यूं रोया मैं तेरे वास्ते ज़हन निचोड़ के

और बातें सारी झूठी सच्ची एक बात
वो लौटते नही है जो जाते है छोड़ के

तेरी चाहतो से सौ गुना मैं प्यार दे चला
कभी देखना फुरसत में तू हिसाब जोड़ के

तन्हाइयों ने निगला है उनको ही दोस्तों
जो देखते नही कभी खुद को झंझोड़ के

तू खुद ही कर गया मुझे अपाहिज बेचैन
अब मुमकिन नही आऊँ तेरे पास दौड़ के

Sunday 15 July 2012

अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है

कोई हमें भी तो बताये मामलात क्या है
हंगामा बरप रहा है आखिर बात क्या है

दोस्ती से बढ़कर नही होता कोई रिश्ता
फिर महबूबाओ की कहिये औकात क्या है

वो पास होता तो समझाता बारीकी सी
अब दूर बैठे क्या समझाये ज़ज्बात क्या है

मुफलिसों को टका सा जवाब देने वालों
पहले यह तो पूछ लो तुमसे सवालात क्या है

रोज लुटती आबरू देख कर कोई तो बताये
बेबस के लिए शहर क्या है जंगलात क्या है

बरसों बाद मिलने का करार देने वाले
बता तो सही साल महीने दिन लम्हात क्या है

रूबरू नही तो कम से कम ख्वाब में ही बोल
बेचैन को लेकर तेरे ख्यालात क्या है

मैं भी हूँ जिंदगी तो गुजारो मुझे

अक्स हूँ मैं तुम्हारा विचारो मुझे
जिंदा रहने दो या फिर मारो मुझे

दब ना जाऊ कही वक्त की रेत में
मौका है जानम तुम संवारों मुझे

कर चुका एलान जान हो तुम मेरी
मैं भी हूँ जिंदगी तो गुजारो मुझे

तुझको मैं दे रहा हूँ कब से सदा
अनसुना मत करो तुम पुकारों मुझे

प्यार हूँ या बला सोच लो बैठ कर
कुछ तो पहचान दो तुम यारो मुझे

चीखकर कह रही है मेरी बेबसी
गलत हूँ मैं अगर तो सुधारो मुझे

चैन मरकर भी बेचैन ना आएगा
कर्ज़ हूँ मैं तुम्हारा उतारों मुझे

Saturday 14 July 2012

आटे में नमक मिलाना मत भूल

सच -झूठ का दोस्ताना मत भूल
आटे में नमक मिलाना मत भूल

कामयाबी झक मारकर आएगी
खुद को काबिल बनाना मत भूल

उम्मीदें है औलाद से अगर
तू गलती पर धमकाना मत भूल

हवस और महोब्बत अलग अलग है
फर्क दोनों के दरमियाना मत भूल

उसूलो से छेड़ करे जो शख्स
तमाचा उसे लगाना मत भूल

आराम से रह कोठियों में मगर
तू घर अपना पुराना मत भूल

भूल जा बेशक याददश्त बेचैन
उसका मगर मुस्कुराना मत भूल




Saturday 7 July 2012

तकदीर मगर देखो हूर जैसी है

शक्ल मेरी बेशक लंगूर जैसी है
तकदीर मगर देखो हूर जैसी है

ताकत और मिठास देती है दोनों
महबूब की बातें खजूर जैसी है

मत सोचने दे मुझे राख हो जाऊंगा
ज़ज्बात की गर्मी तंदूर जैसी है

बस इसी बात का अफ़सोस है मुझे
वो करीब होकर भी दूर जैसी है

जब देखो पेचीदगी भरी दिखती है
आदत तेरी किसी दस्तूर जैसी है

वो कोशिश करे सूखकर किसमिस बने
जिस शख्स की हालत अंगूर जैसी है

अब इससे ज्यादा क्या कहूं बेचैन
पाकीजगी मुझमे सिन्दूर जैसी है

Friday 6 July 2012

पंछी की आँखों में सवालात दिखाई ना दिए

खुदगर्जी तो दिख गई हालात दिखाई ना दिए
गरीब के किसी को ज़ज्बात दिखाई ना दिए

सैयाद की भूख को तो मिल गया जवाब मगर
पंछी की आँखों में सवालात दिखाई ना दिए

ग्रांट दिलाने का वादा तो सबको दिखा मगर
विधायक के किसी को ख्यालात ना दिखाई दिए

सिर्फ वही लोग हुवे है जमाने में कामयाब
काम करते वक्त जिनको दिन रात दिखाई ना दिए

ड्राइंग रूम तो बेचैन सबको अच्छा लगा
घर में मगर केक्ट्स के जंगलात दिखाई ना दिए

कुत्ते की पूंछ में सीधापन आ जाएगा

छोड़ देगी जिस रोज शक करना लडकियाँ
कुत्ते की पूंछ में सीधापन आ जाएगा

तकदीर में लिखा है तो हाय तौबा छोड़
तेरे पास चलकर खुद धन आ जाएगा

वो बुढ़ापे में भी इश्क की बातें करेगा
मिजाज में जिसके बांकपन आ जायेगा

वो फिर पाताल में पीछा नही छोड़ेगा
अगर हुस्न का इश्क पर मन आ जायेगा

पहला शेर तुझ पर ही लिखूंगा बेचैन
शायरी का मुझे जिस दिन फन आ जायेगा

Tuesday 3 July 2012

जान तू अगर मेरे लिए कोई ख्वाब हो गया

तुझको भुलाने में मैं अगर कामयाब हो गया
पछताओगे जो पैदा तेरा जवाब हो गया

बह निकले तेरे नाम के जो कभी अश्क आखरी
फिर समझो तुम्हारा मेरा सब हिसाब हो गया

आँखों को दिल को दे ना सके ठंडक जो दोस्तों
बेकार महोब्बत में वो फिर महताब हो गया

चाहकर भी इस जन्म में कभी मिल न सकोगे
जान तू अगर मेरे लिए कोई ख्वाब हो गया

बेचैन बता देगा अगर कोई भी पूछेगा
हद से जियादा काँटों का तू गुलाब हो गया

Monday 2 July 2012

जिसे भी देखिए आजमाने को दौड़ता है

अहसास की धज्जी उड़ाने को दौड़ता है
साला हर एक रिश्ता खाने को दौड़ता है

कुछ खोने के लिए कोई भी तैयार नही है
कमबख्त हरेक इंसा पाने को दौड़ता है

खुद पर भरोसा तो जैसे जन्मजात नही है
जिसे भी देखिए आजमाने को दौड़ता है

कोई रूठ कर जाता है तो बेशक चला जाए
आज कौन किसे भला मनाने को दौड़ता है

मुआमला प्यार का हो तो जरा सोच बेचैन
कौन गरीब का हक दिलवाने को दौड़ता है