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Friday 29 June 2012

कितने युगों तक मन मारता रहूँ

कुछ ना कहूं बस तुझे निहारता रहूँ
अश्कों से आरती उतारता रहूँ

सचमुच करूंगा इंतजार लेकिन बता
कितने युगों तक मन मारता रहूँ

बस इतनी इनायत करना राधे
ता-उम्र तेरा नाम पुकारता रहूँ

तुमको पाकर जग जीत लिया लेकिन
अपने आप से कब तक हारता रहूँ

किसी रोज तो देख तू आकर बेचैन
और कितना दर्द बता संवारता रहूँ