Friends

Monday 8 August 2011

लाजिम था पीने के बाद खुशबू आये मुझमे


खूब झूमा अपने ख्वाब के साथ बैठ कर
आज पी भाई साहब के साथ बैठ कर
पैग पे पैग लिए मगर नशा नही हुआ
सीखा बहुत कुछ नकाब के साथ बैठ कर
बहुत कम लोगो को मालूम था आज
फंस गया सवाल जवाब के साथ बैठ कर
लाजिम था पीने के बाद खुशबू आये मुझमे
महसूस किया ये सब गुलाब के साथ बैठ कर
ऐसी कोई तीर मारने वाली बात नही बेचैन
देख लिया हमने जनाब के साथ बैठ कर

खूब झूमा अपने ख्वाब के साथ बैठ कर
आज पी भाई साहब के साथ बैठ कर
पैग पे पैग लिए मगर नशा नही हुआ
सीखा बहुत कुछ नकाब के साथ बैठ कर
बहुत कम लोगो को मालूम था आज
फंस गया सवाल जवाब के साथ बैठ कर
लाजिम था पीने के बाद खुशबू आये मुझमे
महसूस किया ये सब गुलाब के साथ बैठ कर
ऐसी कोई तीर मारने वाली बात नही बेचैन
देख लिया हमने जनाब के साथ बैठ कर

हो जाती बरसात तो ना सुलगता बेचैन



कौन बैठेगा भला आकर मुझ ठूठ के नीचे
ना छाया देता हूँ ना असर बहारो का है
गला घोंट दू यादो का नया घर बसा लू
मुझसे ना होगा ये काम तो गदारो का है
वो तो गम की कैद में हूँ वरना बता देता
क्या मतलब आजकल तेरे इशारो का है
हर काम में दिखाते है जो लोग कलाकारी
आज जमाना यारो उन कलाकारों का है
हो जाती बरसात तो ना सुलगता बेचैन
दिल जलाने में हाथ हल्की फुहारों का है