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Sunday 9 October 2011

अनछुए ज़ज्बात है अभी



साधारण सी बात है अभी
कच्ची मुलाकात है अभी
दिल का हाल कैसे कह दूं
अनछुए ज़ज्बात है अभी
कैसे आयें इक छतरी नीचे
हल्की सी बरसात है अभी
वो होंगे धुरंधर इश्क में
मेरी तो शुरुआत है अभी
पकड़ हाथ सीने पर रखूं
मेरी कहाँ औकात है अभी
जवाब मिलते ही बताऊंगा
जिंदगी सवालात है अभी 
दिन ही तो गुज़रा है बेचैन
पहाड़ सी बाकि रात है अभी

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