Friends

Tuesday 7 July 2015

मैं उन्ही को चाहता हूँ जो मुझको चाहते है

मैं उन्ही को चाहता हूँ जो मुझको चाहते है
वरना बाकी लोग तो जानकारों में आते है

रिश्ते हो या पौधे हम लगाकर छोड़ दे तो
न संभालने की सूरत में वो सूख जाते है

किरदार की फालतू नुमाइश ना कर दोस्त
आप क्या है ये आपके संस्कार बताते है

क़र्ज़ मांगते है हमसे जो पिछले जन्म का
वो किसी न किसी बहाने जरूर टकराते है

आधी रात को मदद का दावा करने वाले
दिन के उजालो में मज़बूरियां गिनवाते है

मत परदेश में कमाने भेज मुझे तकदीर
बच्चे मेरे अभी बहुत जियादा तुतलाते है

इबादत हो जाती है जिनकी महोब्बत बेचैन
वो जीते जी किसी को भूल नही पाते है