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Saturday 27 October 2012

आज मेरी आवाज़ ही नही दिल भी भारी है

आज मेरी आवाज़ ही नही दिल भी भारी है
छोड़कर मुझको तेरी जाने की तैयारी है

रोके नही रुकता है सैलाब आंसुओ का
बिना पानी बगेर मछली सी तडफ जारी है

नही सरक रही जिंदगी उन लम्हों से आगे
तेरी गोद में जितनी मैंने उम्र गुजारी है

मत भूलना कभी अ मेरे इश्क के खुदा
मैंने कैसे निगाहों से आरती उतारी है

वादा रहा कभी बेबसी उफ़ तक ना करेगी
मंजूर है बेचैन जो भी ख़ुशी तुम्हारी है

हम आज महोब्बत के कदमो में माथा टेक कर आये है

हम आज महोब्बत के कदमो में माथा टेक कर आये है
सकून था कितना मत पूछो हम कितना अब इतराए है

हम रोते रहे बेखुद होकर वो पोंछता रहा अश्क मेरे
छुवन हम उनके हाथों की गालों पर रचाकर लाये है

हम तकते रहे पहरों तक, वो सोचता रहा ये क्या है सब
हम रखकर उनकी गोद में सर कई देर तलक सुस्ताये है

उनसे जन्मो का नाता है हमने ये परख कर देख लिया
इस दर्द के रिश्ते के उसने हमको छाले दिखलाए है

दाता अहसान करना इतना जब साँस आखरी ले बेचैन
हो उनकी गोद में सर मेरा अरमान ये मन में जगाए है