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Saturday 6 August 2011

ऊँगली पर गिनो जब यार अपने बेचैन



ये महोब्बत ये अपनापं बरकरार रखना
दोस्त सदा दिल में यूही प्यार रखना
आभागा हूँ मुझपे आ सकती है मुश्किल
देने को मेरा साथ खुद को तैयार रखना
सच कहू तो ज़माना मेरे पीछे पड़ा है
चापलूसों से खुद को खबरदार रखना
खबर देश प्रदेश की लगती रहेगी
घर में कोई बांधकर अखबार रखना
सुना है देश छोड़ कर जा रहे हो तुम
हो सके तो ख्याल मेरा उस पार रखना
ऊँगली पर गिनो जब यार अपने बेचैन
हो सके तो नाम मेरा शुमार रखना

कुछ शेर दोस्ती के लिए

सिवाय आपसे  जैसे यारों के मेरे पास क्या है
आपने ही तो बताया यारी का अहसास क्या है
खून के  रिश्ते तो आज ज़हर उगलने लगे है
कहो दोस्ती से बढ़कर रिश्ता  खास क्या है
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जो करते नही खिलवाड़ दोस्ती के साथ
उन यारो को लेता हूँ संजीदगी के साथ
धोखा फरेब और मक्कारी के युग में  
कैसे कर लू दोस्ती हर किसी के साथ
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धडकनों को आँखों को, ना किसी का इंतज़ार हुआ
उसकी बे-वफाई के बाद, ना कोई मेरा यार हुआ
चाह कर भी ना बन सका मन का मीत कोई  
कहने को तो कई चेहरों में उसका दीदार हुआ
.............................................................कुछ शेर दोस्ती के लिए 
बनके लहू जो यार रगों में दौड़ते है
वो जिंदगी में इक मकसद जोड़ते है
शक में डूब जाती है उनकी हर बात  
जो लोग दोस्ती में भरोसा तोड़ते है



कहने को तो कई चेहरों में उसका दीदार हुआ

धडकनों को आँखों को, ना किसी का इंतज़ार हुआ
उसकी बे-वफाई के बाद, ना कोई मेरा यार हुआ
चाह कर भी ना बन सका मन का मीत कोई
कहने को तो कई चेहरों में उसका दीदार हुआ