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Thursday 8 May 2014

कोई नही करता याद किसी को
ये तो फक्त भरम है आदमी को

जरूरत का दूसरा नाम प्यार है
टटोल लो बेशक खुदगर्ज़ी को

रूह में पसरा मातम दिखेगा नही
सोखना सीखो आँखों की नमी को

शक से लबरेज़ इमानदारो पीछे
क्यों खराब करते हो जिंदगी को

छोड़कर अपनी बेईमानी बेचैन
किसी की परवाह नही किसी को


Tuesday 6 May 2014

किसने कहा बेटियां पराई होती है
ये तो माँ-बाप की परछाई होती है

पीड़ा समझती है हर एक रिश्ते की
बेटियां असल हातिमताई होती है

दहलीज जो भी कंवारी रह जाती है
उस आँगन में दर्ज़नो बुराई होती है

वही रखेगा बेटियों पर गलत निगाहें
जिसकी सोच में गंदगी समाई होती है

फेरो के साथ ही हकदार बदल जाते है
कब जिंदगी की बेटी मल्काइन होती है

कोख में मारने वालो सुनो बेटियां तो
नसीब अपने साथ लेकर आई होती है

दुनिया जिसे इज़्ज़त का नाम देती है
बेचैन वो बेटियो से ही कमाई होती है