बंदिश लगाके आहों पे कहता है प्यार कर
मेरे पास बैठ कर ही मेरा इंतजार कर
मुजरिम समझ बैठा हूँ खुद को तुम्हारा मैं
इतना भी जान मुझको ना अब शर्मसार कर
आता नही समझ में अब करू तो क्या करू
कैसे मैं खुद से ही कहूं गूंगा व्यवहार कर
शक की नजर से रोज मेरा ना इंतिहान ले
इंसान गलत नही हूँ मेरा एतबार कर
मजबूरिया तुम्हारी मुझे अच्छे से पता है
मेरी बेबसी पे तू भी तो सोच विचार कर
कब तक करेंगे नसीब से दो दो हाथ हम
सिक्का उछाल कर ही सही जीत हार कर
तू भी बेचैन होता है सुनकर मेरा नाम
मिल जायेगा सकूं मुझे तू इकरार कर
मेरे पास बैठ कर ही मेरा इंतजार कर
मुजरिम समझ बैठा हूँ खुद को तुम्हारा मैं
इतना भी जान मुझको ना अब शर्मसार कर
आता नही समझ में अब करू तो क्या करू
कैसे मैं खुद से ही कहूं गूंगा व्यवहार कर
शक की नजर से रोज मेरा ना इंतिहान ले
इंसान गलत नही हूँ मेरा एतबार कर
मजबूरिया तुम्हारी मुझे अच्छे से पता है
मेरी बेबसी पे तू भी तो सोच विचार कर
कब तक करेंगे नसीब से दो दो हाथ हम
सिक्का उछाल कर ही सही जीत हार कर
तू भी बेचैन होता है सुनकर मेरा नाम
मिल जायेगा सकूं मुझे तू इकरार कर
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