कुछ साले कुछ कुते कुछ कमीने याद आये
दोस्ती के नाम पर कुछ नगीने याद आये
बयाँ नही कर सकता मैं अहसास जिनका
मस्ती बिखेरते मुझे वो महीने याद आये
खुदा कितना साथ देता है नाखुदाओ का
जब महोब्बत के हमको सफिने याद आये
इश्क में उन दिनों की मेहनत तौबा तौबा
कैसे -कैसे निकले वो पसीने याद आये
सर चढ़कर बोलती थी नौजवानी मगर
बदमाशियो के हमको करीने याद आये
जिक्र मयकशी का छिड़ा तो सुन बेचैन
कोलिज़ में बैठकर जाम पीने याद आये