तू अश्क बनकर रहता है डबडबाई आँखों में
तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में
तू मिले जिस रोज उस दिन झांक कर देख लेना
सुबक सुबक कर पड़ गई है कितनी काई आँखों में
इसलिए ज्यादा फिक्रमंद मैं आजकल रहने लगा हूँ
अपना घर बसा चुकी है जान तन्हाई आँखों में
तू करता तो है बात के साथ मुझ पर शक मगर
क्या लगती है तुझे कही से बेवफाई आँखों में
इससे जियादा तुझे और क्या कहू बेचैन
तडफती रहती है प्यार की सच्चाई आँखों में
तेरा ही तो इंतजार है पथराई आँखों में
तू मिले जिस रोज उस दिन झांक कर देख लेना
सुबक सुबक कर पड़ गई है कितनी काई आँखों में
इसलिए ज्यादा फिक्रमंद मैं आजकल रहने लगा हूँ
अपना घर बसा चुकी है जान तन्हाई आँखों में
तू करता तो है बात के साथ मुझ पर शक मगर
क्या लगती है तुझे कही से बेवफाई आँखों में
इससे जियादा तुझे और क्या कहू बेचैन
तडफती रहती है प्यार की सच्चाई आँखों में