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Friday 1 June 2012

नुकसान का टोटल उसी से पूछ बेचैन


रिश्तों में जब हुशयारी टाँगे अडाती है
सबसे पहले भरोसे की नींव हिलाती है

भूखे के दिन फिर सकते है झूठे के नही
मुझको आज भी माँ की बात याद आती है

कोई फरेब खाकर जोर का ठहाका लगा दे
किस शख्स की बता इतनी बड़ी छाती है

कसमों के जंगल में जो ले जाते है अक्सर
बिन हड्डी की जीभ उनका काम चलाती है

हर बात बता देते है महबूब को जो लोग
उन्ही को महोब्बत नानी याद दिलाती है 

नुकसान का टोटल उसी से पूछ बेचैन
जिस किसी की दौलते अहसास लुट जाती है

तू मत देना कभी सकूं पीर तो है मेरे पास

तुम ना सही तुम्हारी तस्वीर तो है मेरे पास
ना दे साथ किस्मत तदवीर तो है मेरे पास

रख अपने पास मेरी रूह का अचार डालकर
चलती फिरती लाश सा शरीर तो है मेरे पास

ढूंढ़ लूँगा अपने ही गम में हंसी का बहाना
तू मत देना कभी सकूं पीर तो है मेरे पास

मुझे रुलाएगा भी और हंसायेगा भी वही
तेरी याद का इक फकीर तो है मेरे पास

सर कलम कर दूंगा बुरे ख्यालो का बेचैन
शेरो-शायरी की शमसीर तो है मेरे पास