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Sunday 16 December 2012

यादें उसको तकलीफ पहुंचाती नही .......कमाल है !

वो आती नही उसकी याद जाती नही.......कमाल है !
सोच इक कदम भी आगे बढ़ पाती नही .......कमाल है !

जबकि मेरे दिलो-दिमाग में तो कोहराम मचा है
यादें उसको तकलीफ पहुंचाती नही .......कमाल है !

बसेरा कर लिया है अपनी तो आँखों में नमी ने
उसकी कभी पलके भी भीग पाती नही .......कमाल है !

उसको लेकर मैं तो खुद से रोजाना झगड़ता हूँ
क्या वो खुद से भी कभी कुछ बतियाती नही  .......कमाल है !

ये कैसे मुमकिन है महबूब से बिछड़कर बेचैन
ठंडी आहें किसी की रूह तडफाती नही   .......कमाल है !

हुश्न तू खा जा गरीब को एक ग्रास समझकर

इश्क बेशक चाहे तुझे अपना ख़ास समझकर
 हुश्न तू खा जा गरीब को एक ग्रास समझकर

मिसाल ऐसी पैदा कर रूह कांप उठे सबकी
लोग ठोकर पे रखे प्यार को बकवास समझकर

आखिर क्यूं छिडक जाता है वही नमक जख्मो पर
दर्द साँझा करते है जिससे गम शनास समझकर

इसलिए नही करता कोई मुफलिस की पैरवी 
साला जीता है जिंदगी को बनवास समझकर

उसकी फुरसत के पलों का खेल था बेचैन
 सीने से लगाया था जिसको अहसास समझकर