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Monday 17 December 2012

वक्त तुमको एक दिन पछाड़ेगा जरुर

शेर जंगल का हो या फिर किसी गजल का
वो जिधर भी जायेगा दहाड़ेगा जरुर 

बुलंदी पर कब्जा करने वालों याद रखना
वक्त तुमको एक दिन पछाड़ेगा जरुर

जो बन्दर दिखता है तुम्हे गरूर के मारो
देख लेना वही लंका उजाडेगा जरुर

झूठ बोलकर गरीब का हक मरने वालों
पाप तुम्हारी जडो को उखाड़ेगा जरुर

गम न कर बेचैन सिफार्सियों का एक दिन
कोई मेहनतकश हुलिया बिगाड़ेगा जरुर

मैं आज ढंग से मयखाने में जाकर आया हूँ

हाँ तुम्हारी यादों को आग लगाकर आया हूँ
मैं आज ढंग से मयखाने में जाकर आया हूँ

सेहत की औकात से बढ़कर लगाकर ज़ाम
होश की धज्जिया मैं आज उड़ाकर आया हूँ

किसी का भी तो डर नही मुझे टोके जरा भी
मैं शराब की नदियाँ आज बहाकर आया हूँ

मय रगों में जब तक न बहेगी पीता रहूँगा
ये राज की बात किसी को बताकर आया हूँ

जब तक दम है इन आँखों में जिद छोड़ना मत
अपने आंसुओं को आज समझाकर आया हूँ

मिटा लूँगा खुद को वो ना आया तो बेचैन
मैं अपने अहसास की कसम खाकर आया हूँ

न मजबूर करो बने कोई गुनेहगार दोस्तों

बेशक देख लो करके सोच विचार दोस्तों
पैसे पर भारी पड़ता है व्यवहार दोस्तों

वो बड़े से बड़ा स्कूल भी नकली दंगल है
गर शिक्षा के संग नही देता संस्कार दोस्तों

लात पीठ पर मारो किसी के पेट पर नही
मत छीनना किसी का भी रोजगार दोस्तों

जरा सी बात का अफ़सोस उम्र भर रहेगा
न मजबूर करो बने कोई गुनेहगार दोस्तों

न बचा सकोगे खुद को बरबाद होने से
हाय लग गई गरीब की जो एक बार दोस्तों

गलती करे तो माफ़ कर सीने से लगा लो
अपनों को मत करो इतना शर्मसार दोस्तों

मौसम की मानिंद जिसकी सोच बदलती हो
बेहद खतरनाक होते है वो यार दोस्तों 

सबब किसी की बरबादी का न बनो बेचैन
हरेक शख्स को पालने दो परिवार दोस्तों