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Thursday 22 December 2011

तुम शक पर शक जताओगे शायर से दिल लगाकर

कुछ भी नही पाओगे शायर से दिल लगाकर
देखना पछताओगे शायर से दिल लगाकर

जमाने की गिनती पहाड़े कम जानता है
तुम कैसे निभाओगे शायर से दिल लगाकर

तुझे रखेगा हर वक्त अहसास के जंगल में
बहुत डर जाओगे शायर से दिल लगाकर

तुझे हर गजल में लगेगा महबूब इक नया
तुम शक पर शक जताओगे शायर से दिल लगाकर

तेरी जुल्फों की तरह ख्याल भी उलझ जायेंगे
किसको सुलझाओगे शायर से दिल लगाकर

होना पड़ेगा आपको  बेचैन हर बात पर
कितनी कसम खाओगे शायर से दिल लगाकर

खुदा करे आप तरक्कीकी सीढ़ी चढ़ते जाये

खुशखबरी के झोंके आपसे अक्सर मिलने आये
खुदा करे आप तरक्कीकी सीढ़ी चढ़ते जाये

हरेक ख्वाब हकीकत बनकर चले आपके संग
मेहनत के लम्हे देवें  कामयाबी की दुआएं

घर में दोस्तों में और तमाम रिश्तेदारों में
आपके आसमान छूने की खूब चले चर्चाये

अव्वल तो कोई दर्द-ओ-गम ना मिले आपको
अगर मिलता है तो वो मेरी और सरक जाएँ

चेहरे की चमक बढ़े चांदनी सा बिखरे नाम
बेचैन मेरे महबूब के हक में चले हवाए