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Tuesday 17 January 2012

कल से तेरा यार घर से कम निकलेगा

आंसू की शक्ल में ना कोई भ्रम निकलेगा
पथराई आँखों से अब तो दम निकलेगा

फिर करता हूँ  आज मैं एक बार वादा
न जीते जी दिल से तेरा गम निकलेगा

मान जा सितमगर बहुत देर हो जाएगी
जब तक तेरी जुल्फों का खम निकलेगा

ओढ़ लेगा तन्हाई छोड़ कर आवारगी
कल से तेरा यार घर से कम निकलेगा

कर चुके होंगे लोग तेहरवी बेचैन
सुध लेने जब तक तेरा सनम निकलेगा
खम=उलझन