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Sunday 25 November 2012

शायद ज्यादा पी ली है आज शराब दोस्तों

शायद ज्यादा पी ली है आज शराब दोस्तों
कमबख्त हो रही हालत कुछ खराब दोस्तों

क्यूं टिक नही रहे है साले पैर जमीन पर
मुझको जाना है करने कुछ हिसाब दोस्तों

सांसो की तरह जुबा भी लडखडा उठी है
सुबह दूंगा सब सवालों का जवाब दोस्तों

उसकी खूबियों का जिक्र अब क्या करू भला
उसका पसीना था खुशबू-ए-गुलाब दोस्तों

रहने लगेगी हर घड़ी आँखे सुर्ख तुम्हारी
मत देखना कभी महोब्बत में ख्वाब दोस्तों

दम कल निकलता बेचैन अब ही निकल जाये
नही चाहिए लम्बी उम्र का खिताब दोस्तों 

उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है

दिल में यादों के नश्तर कुछ यूं सुई चुभाते है
उस पर लिखे एक एक शेर हमे रुलाते है

अश्क नही आँखों से अब लहू टपकने लगा है
क्या होगा हम बिगडती हालत से घबराते है

रकीब को भी ना मिले ऐसी तडफ-ओ-बेबसी
हम सजदे में दिन रात यही दुआ फरमाते है

मुझको तो इल्म नही है अपनी हालत का मगर
मुश्किल बचेगा देखने वाले ही बताते है

इश्क है तो बुरे ख्याल भी आयेंगे बेचैन
मानता नही जबकि मन को खूब समझाते है