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Thursday 15 September 2011

देखना बोलेगी इक रोज़ मेरी किस्मत



उस दिन समझेंगे मेरी यायावरी लोग
बताऊंगा जब दुनिया में कहाँ क्या है
वक्त के थपेड़ों ने पहुँचाया है यहाँ तक
नही जानता विरासत की हवा क्या है
भरोसा है जिनको इश्क-ए-हकीकी में
वही तो बतायेंगे असर-ए-दुआ क्या है
मुझे इतना समझा दो बस मेरे रकीबों 
रश्क रखने से आखिर फायदा क्या है
देखना बोलेगी इक रोज़ मेरी किस्मत
बता दें बेफिक्र  बेचैन तेरी रज़ा क्या है

कोई हाथ मिलाकर दगा दे जायेगा


महोब्बत का दिल में मान रखा कर
आँखों में दर्द की  पहचान रखा कर

कोई हाथ मिलाकर दगा दे जायेगा
इतनी मत जान पहचान रखा कर
दीवानगी को लोग मजाल समझेंगे
हथेली पे ना अपनी जान रखा कर
मतलब परस्ती कहेंगे आपको सभी
ना दोस्तों के याद अहसान रखा कर
हर अच्छे बुरे की समझा देगा वक्त
बस खुले अपने दोनों कान रखा कर 
घर में  कितनी ही विदेशी चीज़ रख
दिल में पर अपने हिंदुस्तान रखा कर
शेर को सवा शेर जूमला है जब तक
तू  ताकत का ना अभिमान रखा कर
बचपन के देखें ख्वाब पूरे होंगे बेचैन
अपनी सोच की ऊँची उड़ान रखा कर