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Monday 7 November 2011

पीके होश वालो की चुगली खाता हूँ

अक्सर नशे का मजा यूं उठाता हूँ
पीके होश वालो की चुगली खाता हूँ

कर देता हूँ खाली एक घूँट में जाम
चुश्कियों के झंझट से जी चुराता हूँ

काम तो करना है जिंदगी भर दोस्तों
छुटी के दिन सिर्फ आराम फरमाता हूँ

बहुत से लोगों का मैं दुश्मन हूँ मगर
नही जानता मैं किस किसको भाता हूँ

सीने में इक दर्द सा महसूस करता हूँ 
जब कभी तुम्हारी यादों से टकराता हूँ

मौत से टकराने का हौशला है तो मगर
अपने आप से यारों मैं बेहद घबराता हूँ

ब्याज तक डकारता हूँ व्यपार में मगर
झूठी कसम मैं बेचैन कभी नही खाता हूँ


कुनबा भी बनेगा पाप का चश्मदीद

सच में गर चाहते हो खुदा का दीद
बकरा काट कर ना बनाओ बकरीद

मस्जिद की जगह घर में मकतल
कैसे हो भाई तुम मजहब के मुरीद

मारकर बेकसूर को खुद तो फसोगे
कुनबा भी बनेगा पाप का चश्मदीद


मांस की जगह सबको मिठाई बांटो
फिर कहो आपस में मुबारक हो ईद


दुखाकर किसी गरीब का दिल बेचैन
ना पीढ़ियों के लिए तकलीफें खरीद