कांप उठता हूँ तेरा जब भी नाम लेता हूँ
मुहं को आते हुवे कलेजे को थाम लेता हूँ
हाँ इस तरह मैंने नशीली हयात कर डाली
कभी अश्को के तो कभी मय के जाम लेता हूँ
तू मेरे खुदा इश्क का था और रहेगा सदा
इसलिए नाम तेरा सुबह-ओ-शाम लेता हूँ
मन की हालत चेहरे पर उभर ही जाती है
कहने को तो मैं समझदारी से काम लेता हूँ
अपने बेचैन के खातिर तू लौटकर आजा
लो मैं अपने सर सारे ही इल्जाम लेता हूँ
मुहं को आते हुवे कलेजे को थाम लेता हूँ
हाँ इस तरह मैंने नशीली हयात कर डाली
कभी अश्को के तो कभी मय के जाम लेता हूँ
तू मेरे खुदा इश्क का था और रहेगा सदा
इसलिए नाम तेरा सुबह-ओ-शाम लेता हूँ
मन की हालत चेहरे पर उभर ही जाती है
कहने को तो मैं समझदारी से काम लेता हूँ
अपने बेचैन के खातिर तू लौटकर आजा
लो मैं अपने सर सारे ही इल्जाम लेता हूँ