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Sunday 5 February 2012

यह क्यूं नही बताते अपने आप से डरते हो



मैं तो मरे हुवो की भी याद में रोता हूँ
तुम तो जीते जी जुदाई की बात करते हो

मुझ पर बेवफाई का इल्जाम लगाने वाले
यह क्यूं नही बताते अपने आप से डरते हो

मैंने पढ़ा है तुम्हारी आँखों का सूनापन
तुम जान बूझकर पल पल घुट घुट मरते हो

अब हाँ ना भरो वो तो तुम्हारी अपनी मर्जी है
तुम्हारा दिल जानता है तुम जैसा संवरते हो

मत पूछ प्यार में परेशान हुआ कितना

मत पूछ प्यार में परेशान हुआ कितना
तन मन और धन का नुकसान हुआ कितना

मैं खुद की नजर में गिरकर जब खड़ा हुआ
अंदाज़ा नही है पशेमान हुआ कितना

 मजबूरी तो देख पूछ भी नही सकता
 जख्मी ज़हन पर तू मेहरबान हुआ कितना

नही पडती आदत तो ना होता यह सब
मैं ही जानता हूँ तुझपर कुर्बान हुआ कितना

बता नही सकता मगर सच है बेचैन
अबके तेरा मुझ पर अहसान हुआ कितना

तैश में आकर तू गोली से उड़ा दे मुझको

तेरी नजरों से गिरा हूँ तो उठा दे मुझको
पौंछकर आंसू तू सीने से लगा दे मुझको

तुमसे खैरात की तरह ही मांग लूँगा मैं
माफ़ी तू कैसे देता है बता दे मुझको

सोचते सोचते तुझको मैं थक गया हूँ अब
थपकिया देकर तू बच्चे सा सुला दे मुझको

यूं भी औकात तेरे आगे मेरी कुछ भी नही
तैश में आकर तू गोली से उड़ा दे मुझको

महज़ औरों की तरह है गर दीवाना बेचैन
फिर तो बेहतर होगा सचमुच भुला दे मुझको

मैं इक रोज तुझे सचमुच खुदा कर दूंगा

शायद मैं तुझे जल्द ही अलविदा कर दूंगा
रूह को भी पापी जिस्म से जुदा कर दूंगा

चारागरों ने आज मुझे बतला दिया है सब
दर्दे जिगर पर जान को मैं फ़िदा कर दूंगा

रखवा कर शिवाले में तस्वीरे-संग तेरी
मैं इक रोज तुझे सचमुच खुदा कर दूंगा

नही रोक पाओगे तुम बरसात अश्कों की
जिस दिन तमाम यादों को धुंआ कर दूंगा

जां निकालने आयेंगे मेरी जब फरिश्ते
मेरे बाद तू बेचैन ना हो दुआ कर दूंगा

तडफ किस्तों में मुझे यूं ना हमदम देता

जुर्म था जो भी सज़ा मुझको एकदम देता
तडफ किस्तों में मुझे यूं ना हमदम देता

याद रखना था तुझे यूं भी उम्र भर मुझको
बेरुखी का न मुझे इतना बड़ा गम देता

यूं पलटकर तुझे बीच-राह से जाना ना था
सफर ये गलत था तो ध्यान पहले कम देता

आज धोखा मेरा समझाने से समझ जाता 
प्यार के भेष में कल तू ना अगर भ्रम देता

बोलता तुझपे दिलो-जान से मरता हूँ
चाहे बेचैन की झूठी ही कसम देता