मन थोडा सा भारी हैं इन दिनों
सितमगर से यारी हैं इन दिनों
कहने को तो सब ठीक हैं मगर
हल्की सी बेकरारी हैं इन दिनों
हार जीत की बात करते हैं सभी
हरेक शख्स जुआरी हैं इन दिनों
अपना तो जिक्र उठता ही नही
चर्चाए ही तुम्हारी हैं इन दिनों
फरेब से कोई बचकर दिखाए
हर तरफ कलाकारी हैं इन दिनों
काम पड़ने पर गधा बाप बना लो
यही तो दुनियादारी हैं इन दिनों
चैन नही बेचैन उसके बिना अब
अपनी यही लाचारी हैं इन दिनों