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Friday 13 January 2012

कामयाबी दोस्तों किसी भी शक्ल में गौर फरमा सकती है

दरवाजे से ही नही दीवार फांदकर भी आ सकती है
कामयाबी दोस्तों किसी भी शक्ल में गौर फरमा सकती है

भूलकर भी मत करना मेहनतकस से कभी बेईमानी
उसकी एक बददुआ तुमको अर्श से फर्श पर ला सकती है

दुश्मन में हुनर है तो उसकी भी तारीफ करो दिल से
ना जाने कौन सी बात जिंदगी जीना सीखा सकती है

गलत अंदाजे लगा बेकार में मायूस होकर मत बैठो
यहाँ आपके काम की तारीफ कभी भी की जा सकती है

 जल्दी बेचैन मत हो सब्र का फल चखकर तो देख
तकदीर तुम्हारी दोस्त कभी भी तो पलटा खा सकती है

तुमसे मिलने जब आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?



तुमसे मिलने जब आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?
मैं अपना नाम बताऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

किसी रोज भीड़ से निकल कर अचानक कभी तुमको
अपना चेहरा दिखाऊँ, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

ऑनलाइन देती हो तुम रोजाना जितना प्यार
रूबरू मांगने आऊं, मुझे पहचान तो लोगी ना..?

ख्वाब जैसे अहसास के रिश्ते को आगे बढ़ा कर
कभी हकीकत बन जाऊं , मुझे पहचान तो लोगी ना..?

भूली बिसरी किसी बज्म में होकर बेचैन तुमको
जब कोई गजल सुनाऊँ , मुझे पहचान तो लोगी ना..?