जमाना औरत को हद से ज्यादा बेबस कहता है
मर्द के उस दर्द का क्या जिसे मन में सहता है
नजर अंदाज़ कर दी जाती है हर एक तकलीफ
आदमी की रूह से जब कभी भी आंसू बहता है
खासकर शादीशुदा लोगो की दिक्कत मत पूछो
जिनके ख्वाबो का किला कंवारेपन से ढहता है
माँ बहन बेटी ओ महबूबा को कितना ही प्यार दे
फिर भी बेचारे पर बेवफाई का दाग रहता है
अगले जन्म में मुझे भी किसी जान बनाना दाता
इस जन्म का कर्ज़ बेचैन चीख चीखकर कहता है
मर्द के उस दर्द का क्या जिसे मन में सहता है
नजर अंदाज़ कर दी जाती है हर एक तकलीफ
आदमी की रूह से जब कभी भी आंसू बहता है
खासकर शादीशुदा लोगो की दिक्कत मत पूछो
जिनके ख्वाबो का किला कंवारेपन से ढहता है
माँ बहन बेटी ओ महबूबा को कितना ही प्यार दे
फिर भी बेचारे पर बेवफाई का दाग रहता है
अगले जन्म में मुझे भी किसी जान बनाना दाता
इस जन्म का कर्ज़ बेचैन चीख चीखकर कहता है