कैसे कटेगी उम्र सारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना
बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना
सांसे हुई है भारी भारी आपके बिना
बज्मे सुखन में जब भी कोई शेर पढूंगा
झलकेगी साफ़ लाचारी आपके बिना
किसके लिए करू बता बालों में कंघी
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना
कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना
कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना
जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना
मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना
आईने से तोड़ दी यारी आपके बिना
कितना ही इल्म लोगों से सीख लूं लेकिन
ना आएगी समझदारी आपके बिना
कहने को तो बैठा हूँ खोलकर बोतल
छाएगी कैसे खुमारी आपके बिना
जन्नत में बैठकर भी मैं यही कहूँगा
बेकार है सब बेकरारी आपके बिना
मैं बेचैन इसे जियादा और क्या कहूं
कुछ भी नही किस्मत हमारी आपके बिना
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