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Saturday 17 November 2012

पहली बार मन से बददुआ है तुम्हारे लिए बेचैन

तडफ में डूबे तेरे तोहफे पास रखता किसलिए
दे आया मौलवी को ताबीज-ए-ख़ास के बदले

यकीनन वो तन्हाई में एक रोज सुबकियां भरेंगे
जो ज़हर पिलाते है किसी को विश्वास के बदले

चलो छोडो अब ख़ाक डालों किसके साथ क्या हुआ
मैं ही जानता हूँ क्या मिला मुझे अहसास के बदले

यही मेहरबानी मांगी है दो जहाँ के मालिक से
मुझको दुश्मन दे देना ऐसे गम शनास के बदले

पहली बार मन से बददुआ है तुम्हारे लिए बेचैन
तुझको भी आंसू मिले सबसे इखलास के बदले