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Friday 14 October 2011

CHAND UGA HAIN ZMI PE YAA AASMAAN PE करवा चौथ पर आप सबके लिए वी एम बेचैन द्वारा लिखा गया एक पैरोडी गीत

एक दिल हम सीने में एक घर छोड़ते है





यूं तो पत्नी पर इल्जाम ना लगाओ यारो
उनसा कोई ओर है तो सामने लाओ यारो

एक दिल हम सीने में एक घर छोड़ते है
यदि में गलत हूँ तो गलत ठहराओ यारो
तुम्हरे बच्चे पाल दिए घर सम्भाल लिया
मेहरबानी ये मिटटी में ना मिलाओ यारो

अब भी गर भ्रम है तो तलाक देकर देखो
फिर रसोई के रस्ते मैदान में आओ यारो
ढूंढते हो जिस महबूब की आँखों में प्यार
उस प्यार पर चिल्लाकर तो दिखाओ यारो

पत्नी से बड़ी माँ तो कोई होती नही बेचैन
अपनी नही तो बच्चो की तो बनाओ यारो

हिज्र ना किसी के लिए तेज़ाब बने



इधर उधर बिखरे हैं यादों के पन्ने
मिलें तुम्हारा साथ तो किताब बने
काश महोब्बत में सारे दर्दे दिल का
परचून जैसा अपना भी हिसाब बने
सोहनी को लेकर फिक्रमंद हूँ इतना
डूब जाऊं गर अश्कों की चनाब बने
रूह तक जलाकर ख़ाक कर देता हैं
हिज्र ना किसी के लिए तेज़ाब बने
दौर कैसा भी आये इश्क में बेचैन
ना किसी की हालत इज़्तिराब बने 










शक्ल देखकर कोई भ्रम ना पाल



पहले जैसा अब जमाना नही हैं
मुकरने का कोई बहाना नहीं हैं
किसी भी बात से फिर सकते हो
जुबां सच्चाई का पैमाना नहीं हैं
दिल में सभी के होती हैं हलचल
इक शख्स बता जो दीवाना नहीं हैं
ओरों की तफ्तीश वो क्या करेगा
खुद को जिसने पहचाना नहीं हैं
जाम से नहीं तो आँखों से पी लो
दूर तुमसे कोई मयखाना नहीं हैं
शक्ल देखकर कोई भ्रम ना पाल
मिजाज मेरा आशिकाना नहीं हैं
बारहा आईने आगे वो जाएँ बेचैन
जिसका का भी चेहरा पुराना नहीं हैं