Friends

Sunday 11 November 2012

मार डालेगा मुझको शोर बम और पटाखों का

दिवाली बिन तेरे कैसे मनाऊंगा बता तो दे
क्या रोने से खुद को रोक पाऊंगा बता तो दे

मार डालेगा मुझको शोर बम और पटाखों का
मैं ऐसे में कहाँ खुद को छिपाऊंगा बता तो दे

...
नोचे है कलेजे को तेरा गम लम्हा दर लम्हा
मिठाइयां क्या सोचकर मैं खाऊंगा बता तो दे

दिखाना था यही दिन तो क्यूं नजदीक आया था
सचमुच कसूर अपना समझ जाऊंगा बता तो दे

तुझे नही भूल पाया हूँ मुझे अ भूलने वाले
क्या उम्र भर ना मैं याद आऊंगा बता तो दे

चैन बेचैन ने माँगा था कोई दौलत नही मांगी
क्या ढंग से मैं कभी मुस्कुराऊंगा बता तो दे

लो जिंदगी मैं तो चला आज मिलने कज़ा से

अपना रस्ता अपनी मंजिल मुबारक हो तुझे
लो जिंदगी मैं तो चला आज मिलने कज़ा से

और ज्यादा सहन करना मेरे बस का नही
तंग आ गया हूँ तुम्हारी नखरीली अदा से

मिली इबादत के बदले में नरक की सजा
क्या कसूर था पूछूँगा मैं जाकर खुदा से 

उसकी बेरुखी तो बाद में असर करती
दामन जला बैठा मैं अपनी ही वफा से 

धरा रह गया जिंदादिली का ज़ज्बा बेचैन
लो हार गया मैं साँसे जिंदगी की जुआ से