वो जिंदा था तो तेरे नखरे नही सिमटे
अब रो उमर भर उस बदनसीब के लिए
वो प्यार में फरेब खाकर यूं कर गया कूच
छोटी पड़ गई थी दुनिया गरीब के लिए
शक्ल तो दूर आवाज़ तक न सुनाई देगी
अब रोजाना तरसो उस हबीब के लिए
तू मूंदकर आँखे जरा याद करके देख
वो सदा रोता था तेरे करीब के लिए
तू ही तो समझता था आबरू का दुश्मन
अब क्यूं बेचैन है मरहूम रकीब के लिए
अब रो उमर भर उस बदनसीब के लिए
वो प्यार में फरेब खाकर यूं कर गया कूच
छोटी पड़ गई थी दुनिया गरीब के लिए
शक्ल तो दूर आवाज़ तक न सुनाई देगी
अब रोजाना तरसो उस हबीब के लिए
तू मूंदकर आँखे जरा याद करके देख
वो सदा रोता था तेरे करीब के लिए
तू ही तो समझता था आबरू का दुश्मन
अब क्यूं बेचैन है मरहूम रकीब के लिए